चेन्नई, 30 अप्रैल : बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने की कोशिश में एक विशेष अदालत ने चेन्नई में एक 49 वर्षीय व्यक्ति को अपनी बेटी का यौन उत्पीड़न करने के लिए मौत की सजा सुनाई, जबकि लड़की की मां को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. यौन शोषण का मामला तब सामने आया जब 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की ने स्कूल में अपने दोस्तों को अपनी आपबीती सुनाई, जिसकी जानकारी उन्होंने शिक्षकों को दी. शिक्षकों ने इस मामले से चाइल्डलाइन अधिकारियों को अवगत कराया. चाइल्ड लाइन के स्वयंसेवकों ने बच्ची को छुड़ाया और गिंडी के सभी महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई. पीड़िता के पिता को किशोर न्याय अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश एम. राजलक्ष्मी ने 49 वर्षीय व्यक्ति को अपनी बेटी का यौन शोषण करने के लिए मौत की सजा सुनाई. ये फैसला शुक्रवार को सुनाया गया. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि व्यक्ति को तब तक लटका कर रखना है जब तक कि वह मर न जाए और कहा कि सजा मद्रास उच्च न्यायालय से मंजूरी के अधीन है. पोक्सो अधिनियम की धारा 6 में कहा गया है कि गंभीर यौन हमले के अपराध के लिए मृत्युदंड दिया जाता है. यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की
लड़की ने जांच अधिकारियों के सामने खुलासा किया कि उसके पिता 7 साल की उम्र से उसके साथ मारपीट करते थे और बड़ी होने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा. पीड़िता ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि वह 2019 में अपने पिता से गर्भवती हुई और उसने उसकी मां के सहयोग से उसे गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया. उसने पुलिस के सामने यह भी खुलासा किया कि उसके पिता ने उसके गुप्तांगों में कुछ चीजे डाली थीं और उसे अपने साथ नग्न अवस्था में सोने के लिए मजबूर किया था.