Waqf Law Challenge: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती; सरकार को जवाब देने के लिए एक हफ्ते की मोहलत
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हाल ही में वक्फ कानून में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं, जिनको लेकर देशभर में विवाद शुरू हो गया है. कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं, विद्वानों, सांसदों और संगठनों ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन बताया है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है.

इन बदलावों में ‘वक्फ बाय यूजर (Waqf by user)’ का प्रावधान हटाना सबसे बड़ा मुद्दा है. यानी अगर कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक उपयोग में है, लेकिन उसका कोई आधिकारिक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ, तो अब वह वक्फ नहीं मानी जाएगी.

वक्फ क्या होता है?

वक्फ (Waqf) एक इस्लामिक धार्मिक संस्था होती है, जिसके तहत कोई मुसलमान अपनी संपत्ति धर्म, शिक्षा या समाज सेवा के लिए दान करता है. यह संपत्ति वक्फ बोर्ड के माध्यम से चलती है और इसका उपयोग समाज के भले के लिए किया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि वह कोई नई नियुक्ति या वक्फ संपत्तियों का डीनोटिफिकेशन नहीं करेगी, जब तक अगली सुनवाई नहीं हो जाती. कोर्ट की अगली सुनवाई मई के पहले हफ्ते में होगी.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ कहा कि वह कोई आदेश पारित करने से पहले सरकार को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना चाहती है. साथ ही यह भी कहा कि जो स्थिति आज है, उसे बदला नहीं जाना चाहिए ताकि किसी के अधिकार प्रभावित न हों.

सरकार का पक्ष: "लाखों लोगों की ज़मीन चली गई वक्फ में"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें लाखों पत्र मिले हैं, जिनमें कहा गया है कि वक्फ के नाम पर लोगों की निजी जमीनें और गांव तक ले लिए गए. ऐसे में सरकार को अदालत के किसी भी स्टे ऑर्डर से पहले अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए. सरकार का कहना है कि नया कानून एक व्यवस्थित सुधार है और इसका मकसद पारदर्शिता लाना है.

राज्य सरकारों की स्थिति

सभी राज्य सरकारें कोर्ट में मौजूद नहीं थीं, लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार की ओर से कहा गया कि वह नए कानून के पक्ष में है. अदालत ने कहा कि वक्फ बोर्ड की नियुक्तियां राज्य सरकारें ही करती हैं, इसलिए सभी राज्यों की राय भी अहम है.

वक्फ बाय यूजर पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता

कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूज़र’ की वैधता पर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि कई संपत्तियां 100-200 साल पहले वक्फ घोषित की गई थीं और आज भी उपयोग में हैं. ब्रिटिश काल से पहले कोई रजिस्ट्रेशन व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में प्राचीन वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन प्रमाण मांगना अवास्तविक है.

कई मामलों में कोर्ट के आदेश से संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया है. अब यदि कानून उन्हें अमान्य कर दे, तो यह न्यायपालिका के फैसलों को रद्द करने जैसा होगा, जो कि संविधान के खिलाफ है.

नया कानून क्या कहता है?

वक्फ संपत्तियों के मामलों में सरकारी अधिकारियों को ज़्यादा अधिकार दिए गए हैं. केवल वह व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है जो पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो. विवादित सरकारी ज़मीन को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता. वक्फ बाय यूजर प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है.