MP Assembly Election 2023: चुनाव से पहले सरगर्मी, भाजपा-कांग्रेस की तीसरी ताकत पर नजर

मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बने रहने और विपक्षी दल कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कोशिशें जारी हैं

देश IANS|
MP Assembly Election 2023: चुनाव से पहले सरगर्मी, भाजपा-कांग्रेस की तीसरी ताकत पर नजर
BJP/Congress (Photo Credits: PTI)

भोपाल, 15 जून: मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बने रहने और विपक्षी दल कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कोशिशें जारी हैं यही कारण है कि दोनों ही पार्टी की तीसरे दलों से नाता रखने वालों पर पैनी नजर है और उनके नेताओं से नजदीकी बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं राज्य के राजनीतिक हालात पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि कई इलाके ऐसे हैं, जहां बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आदिवासियों से जुड़े राजनीतिक दल और वामपंथियों का प्रभाव है.यह भी पढ़: Madhya Pradesh Assembly Election 2023: कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को लेकर CM शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ में नोकझोंक

लिहाजा, इन दलों के ताकतवर लोगों को अपने से कैसे जोड़ा जाए इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रयास करने में जुटे हुए हैं राज्य में आदिवासी लगभग 84 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में है, 47 सीटें तो ऐसी है, जो इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं आदिवासियों के बीच इस समय जय आदिवासी युवा संगठन और गौंडवाना गणतंत्र पार्टी सक्रिय है जयस के एक गुट ने तो तेलंगाना की सत्ताधारी दल वीआरएस का दामन थाम लिया है तो वहीं, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी की कांग्रेस से नजदीकी बढ़ रही है चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेंस ने गौंगापा को पांच सीटें देने का प्रस्ताव दिया है.

भाजपा लगातार आदिवासी इलाकों पर अपनी नजर बनाए हुए है और उसके तमाम बड़े नेता इन इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के ऐसे नेताओं से उसका संपर्क बना हुआ है जो चुनाव के समय साथ दे सकते हैं बसपा और सपा से नाता रखने वाले दो विधायक पहले ही भाजपा का हिस्सा बन चुके हैंराज्य का ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड वह क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश की सीमा का स्पर्श करता है और इन इलाकों में बसपा और सपा का प्रभाव है ग्वालियर-चंबल में जहां अनुसूचित जाति नतीजे प्रभावित करने की स्थिति में है तो विंध्य में पिछड़ा वर्ग। ेखें पहली तस्वीर">BREAKING: सिद्धू मूसेवाला के घर फिर गूंजी किलकारी, मां चरण कौर ने दिया बेटे को जन्म, देखें पहली तस्वीर

Close
Search

MP Assembly Election 2023: चुनाव से पहले सरगर्मी, भाजपा-कांग्रेस की तीसरी ताकत पर नजर

मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बने रहने और विपक्षी दल कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कोशिशें जारी हैं

देश IANS|
MP Assembly Election 2023: चुनाव से पहले सरगर्मी, भाजपा-कांग्रेस की तीसरी ताकत पर नजर
BJP/Congress (Photo Credits: PTI)

भोपाल, 15 जून: मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बने रहने और विपक्षी दल कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कोशिशें जारी हैं यही कारण है कि दोनों ही पार्टी की तीसरे दलों से नाता रखने वालों पर पैनी नजर है और उनके नेताओं से नजदीकी बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं राज्य के राजनीतिक हालात पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि कई इलाके ऐसे हैं, जहां बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आदिवासियों से जुड़े राजनीतिक दल और वामपंथियों का प्रभाव है.यह भी पढ़: Madhya Pradesh Assembly Election 2023: कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को लेकर CM शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ में नोकझोंक

लिहाजा, इन दलों के ताकतवर लोगों को अपने से कैसे जोड़ा जाए इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रयास करने में जुटे हुए हैं राज्य में आदिवासी लगभग 84 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में है, 47 सीटें तो ऐसी है, जो इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं आदिवासियों के बीच इस समय जय आदिवासी युवा संगठन और गौंडवाना गणतंत्र पार्टी सक्रिय है जयस के एक गुट ने तो तेलंगाना की सत्ताधारी दल वीआरएस का दामन थाम लिया है तो वहीं, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी की कांग्रेस से नजदीकी बढ़ रही है चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेंस ने गौंगापा को पांच सीटें देने का प्रस्ताव दिया है.

भाजपा लगातार आदिवासी इलाकों पर अपनी नजर बनाए हुए है और उसके तमाम बड़े नेता इन इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के ऐसे नेताओं से उसका संपर्क बना हुआ है जो चुनाव के समय साथ दे सकते हैं बसपा और सपा से नाता रखने वाले दो विधायक पहले ही भाजपा का हिस्सा बन चुके हैंराज्य का ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड वह क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश की सीमा का स्पर्श करता है और इन इलाकों में बसपा और सपा का प्रभाव है ग्वालियर-चंबल में जहां अनुसूचित जाति नतीजे प्रभावित करने की स्थिति में है तो विंध्य में पिछड़ा वर्ग। बुंदेलखंड में वामपंथियों, समाजवादियों की जड़े काफी गहरी रही है.

इसके अलावा कई ऐसे सामाजिक संगठन है जो विंध्य, ग्वालियर-चंबल और महाकौशल में प्रभाव रखते है इन संगठनों की भी चुनाव में बड़ी भूमिका होती है राज्य के वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के दो, सपा का एक और चार स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी इससे पहले राज्य में कभी बसपा, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी, सपा के बड़ी सफलता मिली थी, मगर वर्तमान में इन दलों के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है बसपा ने ग्वालियर-चंबल में अपनी पूरी ताकत दिखाई थी और कई स्थानों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे

आगामी चुनाव में यह दल फिर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं यही कारण है कि भाजपा और काग्रेस दोनों की पेशानी पर बल नजर आने लगे है राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की महाकौशल, विंध्य और निमांड में जहां आदिवासी निर्णय भूमिका में है वहीं, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और ग्वालियर-चंबल इलाके में समाजवादियों का प्रभाव है इसके अलावा ग्वालियर-चंबल और विंध्य में बहुजन समाज पार्टी का भी वोट बैंक है कांग्रेस हो या भाजपा, उसे इन इलाकों में अपना जनाधार बढ़ाना है तो उसे इन वर्ग के लोगों से गठजोड़ तो करना ही होगा.

 

Delhi MCD Election: दिल्ली नगर निगम की च�नी नजर है और उनके नेताओं से नजदीकी बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं राज्य के राजनीतिक हालात पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि कई इलाके ऐसे हैं, जहां बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आदिवासियों से जुड़े राजनीतिक दल और वामपंथियों का प्रभाव है.<strong>यह भी पढ़: <a href=Madhya Pradesh Assembly Election 2023: कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को लेकर CM शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ में नोकझोंक

लिहाजा, इन दलों के ताकतवर लोगों को अपने से कैसे जोड़ा जाए इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रयास करने में जुटे हुए हैं राज्य में आदिवासी लगभग 84 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में है, 47 सीटें तो ऐसी है, जो इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं आदिवासियों के बीच इस समय जय आदिवासी युवा संगठन और गौंडवाना गणतंत्र पार्टी सक्रिय है जयस के एक गुट ने तो तेलंगाना की सत्ताधारी दल वीआरएस का दामन थाम लिया है तो वहीं, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी की कांग्रेस से नजदीकी बढ़ रही है चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेंस ने गौंगापा को पांच सीटें देने का प्रस्ताव दिया है.

भाजपा लगातार आदिवासी इलाकों पर अपनी नजर बनाए हुए है और उसके तमाम बड़े नेता इन इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के ऐसे नेताओं से उसका संपर्क बना हुआ है जो चुनाव के समय साथ दे सकते हैं बसपा और सपा से नाता रखने वाले दो विधायक पहले ही भाजपा का हिस्सा बन चुके हैंराज्य का ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड वह क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश की सीमा का स्पर्श करता है और इन इलाकों में बसपा और सपा का प्रभाव है ग्वालियर-चंबल में जहां अनुसूचित जाति नतीजे प्रभावित करने की स्थिति में है तो विंध्य में पिछड़ा वर्ग। बुंदेलखंड में वामपंथियों, समाजवादियों की जड़े काफी गहरी रही है.

इसके अलावा कई ऐसे सामाजिक संगठन है जो विंध्य, ग्वालियर-चंबल और महाकौशल में प्रभाव रखते है इन संगठनों की भी चुनाव में बड़ी भूमिका होती है राज्य के वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के दो, सपा का एक और चार स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी इससे पहले राज्य में कभी बसपा, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी, सपा के बड़ी सफलता मिली थी, मगर वर्तमान में इन दलों के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है बसपा ने ग्वालियर-चंबल में अपनी पूरी ताकत दिखाई थी और कई स्थानों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे

आगामी चुनाव में यह दल फिर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं यही कारण है कि भाजपा और काग्रेस दोनों की पेशानी पर बल नजर आने लगे है राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की महाकौशल, विंध्य और निमांड में जहां आदिवासी निर्णय भूमिका में है वहीं, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और ग्वालियर-चंबल इलाके में समाजवादियों का प्रभाव है इसके अलावा ग्वालियर-चंबल और विंध्य में बहुजन समाज पार्टी का भी वोट बैंक है कांग्रेस हो या भाजपा, उसे इन इलाकों में अपना जनाधार बढ़ाना है तो उसे इन वर्ग के लोगों से गठजोड़ तो करना ही होगा.

 

Google News Telegram Bot
Close
Latestly whatsapp channel
Close
Latestly whatsapp channel