'आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक बदलाव की अपील,' शशि थरूर ने की पीएम मोदी के व्याख्यान की तारीफ

नई दिल्ली, 18 नवंबर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत की आर्थिक दिशा को रेखांकित करने और देश की विरासत को गौरवशाली बनाने पर जोर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की. उन्होंने यह बात पीएम के हालिया संबोधन के बाद कही. थरूर ने एक्स पोस्ट में लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी ने "विकास के लिए भारत की रचनात्मक अधीरता" की बात की और एक औपनिवेशिक काल के बाद की मानसिकता से मुक्ति पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब सिर्फ 'उभरता हुआ बाजार' नहीं, बल्कि दुनिया के लिए 'उभरता हुआ मॉडल' है. उन्होंने देश की आर्थिक मजबूती पर भी ध्यान दिलाया. पीएम मोदी ने कहा कि उन पर हमेशा "चुनाव मोड" में रहने का आरोप लगता है, लेकिन असल में वह लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए "भावनात्मक मोड" में रहते हैं."

थरूर ने प्रधानमंत्री द्वारा मैकाले की "200 साल पुरानी 'गुलामी मानसिकता' की विरासत" को पलटने पर ज़ोर देने की सराहना की और आगे कहा, "भाषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मैकाले की विरासत को पलटने के लिए समर्पित था. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों में गौरव की बहाली के लिए 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की अपील की. ​​ हालांकि थरूर ने यह भी कहा कि काश, उन्होंने यह भी स्वीकार किया होता कि कैसे रामनाथ गोयनका ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज़ उठाने के लिए अंग्रेज़ी का इस्तेमाल किया था!" यह भी पढ़ें : Naugam Blast: सीएम उमर अब्दुल्ला ने पीड़ित परिवारों से की मुलाकात, हर संभव मदद का भरोसा

थरूर ने पोस्ट के अंत में लिखा, "कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह भाषण एक तरह से आर्थिक दृष्टिकोण और साथ ही सांस्कृतिक बदलाव की अपील भी था, जिसमें उन्होंने देश को प्रगति के लिए उत्सुक रहने का आग्रह किया. थरूर ने सर्दी-खांसी से जूझने के बावजूद श्रोताओं में शामिल होने पर खुशी व्यक्त की. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान में भाषण दिया था. उन्होंने मैकाले के भारतीय शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव के बारे में भी विस्तार से बात की, जिसमें अंग्रेजी को शिक्षा के प्राथमिक माध्यम के रूप में बढ़ावा दिया गया था. प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि भारत अपनी भाषाओं को कमजोर क्यों कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी का विरोध नहीं करते, हम भारतीय भाषाओं का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि अगले 10 साल में इस औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति पाना हमारे संकल्प के रूप में शामिल हो.