Chhattisgarh: मैरिटल रेप पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला, कहा- पत्नी से जबरन सेक्स अपराध नहीं
प्रतीकात्मक तस्वीर

रांची: मैरिटल रेप (Marital Rape) पर हर किसी की धारणा अलग है. कई लोग इसे अपराध मानते हैं तो कई लोगों को इसमें कुछ गलत नहीं नजर आता. दुनिया के कई देशों में यह कानून की नजर में दंडनीय अपराध है. लेकिन इस विपरीत हमारे देश में इसे अपराध नहीं है. ताजा मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ बनाया गया यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं मना जाएगा भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध किया गया हो. Uttar Pradesh: नाबालिग लड़की का अपहरण के बाद बलात्कार, आरोपी गिरफ्तार. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को मैरिटल रेप के अपराध से बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा अपनी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ यौन संबंध या कोई भी यौन क्रिया बलात्कार नहीं है, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो. हालांकि कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ अपनी पत्नी से अप्राकृतिक रूप से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में उसके खिलाफ धारा 377 के तहत मामला दर्ज किया है.

कोर्ट का कहना है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया बलात्कार नहीं है, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो अगर पत्नी की उम्र अठारह वर्ष से अधिक है.

केरल हाई कोर्ट ने सुनाया था यह फैसला

बता दें कि इससे पहले केरल में एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि मैरिटल रेप हर तरह से गलत है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसे तलाक का आधार बनाया जा सकता है.

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मैरिटल रेप हालांकि भारत में दंडनीय नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि पत्नी की इच्छा के विरुद्ध पति द्वारा उसकी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना वैवाहिक बलात्कार के अलावा और कुछ नहीं है. इस तरह के आचरण को दंडित नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे शारीरिक और मानसिक क्रूरता के दायरे में मना जाएगा.