अवमानना मामले में नागेश्वर राव पर 1 लाख रूपये का जुर्माना, SC ने दी कोर्ट चलने तक एक कोने में बैठे रहने की सजा
एम नागेश्वर राव (File Photo)

बिहार शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट के अवमानना का सामना कर रहे CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव (Nageswara Rao) को सजा सुनाई. सीजेआई रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने कहा कि नागेश्वर राव को पता होना चाहिए था कि बिहार शेल्टर मामले के उस वक्त के जांच अधिकारी ए के शर्मा को हटाने से क्या असर होगा. राव को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम नागेश्वर राव के माफिमाने को नामंजूर करते हुए अवमानना का दोषी करार दिया. राव पर SC ने कहा "एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए, और दूसरी तफर वो शर्मा का रिलीविंग ऑर्डर साइन कर देते हैं.

चीफ जस्टिस ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर एक दिन बाद रिलीविंग ऑर्डर साइन होता तो क्या आसमान टूट पड़ता? सीजेआई ने नागेश्वर राव पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, इसके अलावा आज जब तक कोर्ट की कार्यवाही चलेगी तब तक नागेश्वर राव और दूसरे अधिकारी को कॉर्नर में बैठना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की जांच टीम में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. अरुण शर्मा ही इस जांच टीम की अगुवाई करेंगे. नागेश्वर राव के अलावा एस. भसूरण पर भी एक लाख का जुर्माना लगाया गया है. यह भी पढ़ें- राफेल विवाद: राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर लगाया बड़ा आरोप, कहा- अनिल अंबानी के लिए किया 'बिचौलिए' का काम

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ किया गया ट्रांसफर 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बाद नागेश्वर राव ने अफसर का तबादला किया था. बिहार शेल्टर होम मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अंतरिम निदेशक को पता था कि एके शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, फिर भी ऐसा किया. CJI ने AG से पूछा कि ए के शर्मा को रिलीव करने का नोट राव के पास पहुंचा और उन्होंने रिलीविंग लेटर पर साइन कर दिया. उन्होंने ये भी संतुष्ट करना जरूरी नहीं समझा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है या नहीं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सख्त टिप्पणियों के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अगर आप नागेश्वर राव को कोई सजा सुनाते हैं, तो उनका करियर खराब हो सकता है. वह पिछले 32 साल से काम कर रहे हैं. CJI ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आप ऐसा कैसे सोच सकते हैं कि लीगल एडवाइस अप्रूवल के बाद मिला. DoPT ने इस ऑर्डर को दिया जो कि नागेश्वर राव के साइन के बाद ही तय हुआ था. चीफ जस्टिस ने कहा कि लीगल एडवाइस यही थी कि सुप्रीम कोर्ट को मामले की जानकारी दी जाए.

गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी. एम नागेश्वर राव ने कोर्ट से बिना शर्त मांगी माफी. एम नागेश्वर राव ने अपने हलफनामे में कहा कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं. अदालत के आदेश के बिना मुख्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित नहीं करना चाहिए था. राव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कृपया मेरी माफी स्वीकार करें.