VIDEO: स्विमिंग पूल में संगम स्नान! नोएडा के स्विमिंग पूल में डाला महाकुंभ का जल, डुबकी लगाने पहुंची भीड़

नोएडा: आस्था और श्रद्धा का एक अनोखा दृश्य नोएडा की एटीएस सोसाइटी में देखने को मिल रहा है. हाल ही में इस सोसाइटी के कुछ लोग महाकुंभ मेले में शामिल होने के लिए प्रयागराज गए थे. वहां से लौटते समय वे संगम का पवित्र जल अपने साथ लेकर आए और उसे सोसाइटी के स्विमिंग पूल में डाल दिया. अब यह पूल श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक स्थल बन गया है, जहां लोग पूजा-अर्चना कर रहे हैं और संगम मानकर डुबकी भी लगा रहे हैं.

सोसाइटी में भक्ति का माहौल

संगम का जल डालने के बाद से ही सोसाइटी के लोगों में जबरदस्त धार्मिक उत्साह देखने को मिल रहा है. कई निवासी पूल के चारों ओर पूजा-पाठ कर रहे हैं, तो कुछ इसमें डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करने की इच्छा जता रहे हैं. उनका मानना है कि यह जल पवित्र है और इसमें स्नान करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें

इस अनोखी पहल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. कई लोग इसे आस्था से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस पर सवाल भी उठा रहे हैं. कुछ का मानना है कि धार्मिक आस्था अपनी जगह है, लेकिन स्विमिंग पूल को इस तरह उपयोग में लाना स्वास्थ्य और स्वच्छता के नजरिए से उचित नहीं है.

सोसाइटी के लोगों की प्रतिक्रिया

सोसाइटी के एक निवासी ने कहा, "हमारे लिए यह केवल एक पूल नहीं, बल्कि एक आस्था का केंद्र बन चुका है. संगम का जल इसमें प्रवाहित हुआ है, इसलिए यह पूल अब पवित्र हो गया है." वहीं, कुछ लोगों ने इसे परंपरा और आधुनिकता के मेल का अनोखा उदाहरण बताया.

प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और सोसाइटी से इस विषय पर चर्चा कर रहा है. अधिकारियों का कहना है कि यह एक निजी मामला है, लेकिन स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करना जरूरी है.

धार्मिक आस्था बनाम स्वच्छता का सवाल

यह घटना धार्मिक आस्था और स्वच्छता के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर करती है. जहां कुछ लोग इसे अपनी श्रद्धा का हिस्सा मान रहे हैं, वहीं अन्य लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि सार्वजनिक सुविधाओं का इस तरह धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग कितना उचित है.

नोएडा की एटीएस सोसाइटी में हुई यह घटना धार्मिक आस्था का एक अनोखा उदाहरण है. यह दर्शाता है कि श्रद्धालु किस तरह अपनी परंपराओं को आधुनिक जीवनशैली में भी शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, यह भी जरूरी है कि आस्था और स्वच्छता के बीच सही संतुलन बनाया जाए ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे.