लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अयोध्या (UP) में श्रीराम जन्मभूमि के मूल स्थल पर विश्व का तीसरे सबसे बड़े श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य 5 अगस्त से शुरू हो जायेगा. इसके पूर्व लगभग 47 सेकेंड के मुहूर्त काल में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास पूजन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को 12 बजकर 15 मिनट पर करेंगे. गौरतलब है कि विश्व का सबसे बड़ा श्रीराम मंदिर कंबोडिया स्थित अंकोरवाट में सिमरिप शहर के मिकांग नदी के किनारे स्थित है. लगभग 401 एकड़ में फैले इस मंदिर की ऊंचाई करीब 213 फिट है, जबकि विश्व का दूसरा सबसे बड़ा विष्णु मंदिर दिल्ली में अक्षरधाम है, जो लगभग 59.3 एकड़ में फैला हुआ है. लेकिन मूल जन्मभूमि में बन रहे अयोध्या के श्रीराम मंदिर की महिमा और महात्म्य दुनिया के किसी भी मंदिर से ज्यादा है.
प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास की औपचारिकता के साथ ही मंदिर का भव्य निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. कहा जा रहा है कि लगभग ढाई से तीन साल की अवधि में यह मंदिर बनकर तैयार हो जायेगा. श्रीराम मंदिर की भव्यता को लेकर तमाम तरह की बातें की जा रही हैं. ऐसे में श्रीराम भक्तों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आखिर कैसा होगा अयोध्या स्थित यह दिव्य श्रीराम मंदिर. आइये जानते हैं...
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का नक्शा लगभग 37 साल पहले विश्व हिंदू परिषद के सौजन्य से बनाया गया था. हालांकि बदली हुई परिस्थितियों में अब यह मंदिर 141 फिट से बढ़ाकर 161 फिट ऊंचा कर दिया गया है तथा तीन मंजिल के बजाय पांच मंजिल का होगा. यानी अब इस मंदिर में पांच गुंबदें होंगे. नागर शैली में बने इस अष्टकोणीय मंदिर के निचले मंजिल यानी गर्भगृह में श्रीराम लला विराजमान होंगे. मंदिर की लंबाई करीब 270 मीटर और चौड़ाई 140 मीटर होगी. मंदिर में प्रवेश के लिए पांच भव्य द्वार होंगे, जिन्हें 'सिंह द्वार', 'रंग मंडप', 'नृत्य मंडप', 'पूजा कक्ष' और 'गर्भगृह' के नाम से नामांकित किया गया है. इन सभी द्वारों की नक्काशी और डिजाइन इनके नाम के अनुरूप चरितार्थ होंगे.
इसके अलावा करीब 24 अन्य द्वार बनाये जायेंगे. हर मंजिल पर कुल 106 स्तंभ होंगे, इस तरह पांच मंजिलों वाले इस मंदिर में करीब 530 स्तंभ बनाए जाने की खबर है. प्रत्येक स्तंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की 12 मूर्तियां उकेरी गई हैं. करीब 185 बीम पर टिके इस मंदिर का फर्श और फ्रेम संगमरमर का बना होगा, जबकि द्वार लकड़ियों का होगा. यह भी पढ़ें:- Ram Mandir Bhumi Pujan: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भूमिपूजन तक, पढ़े पूरी टाइमलाइन.
कहा जा रहा है कि मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. मंदिर के भीतर भगवान श्रीराम की दिव्य प्रतिमा के अलावा एक राम दरबार भी होगा. मुख्य मंदिर से लगभग लगे हुए श्रीगणेश मंदिर के अलावा माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के मंदिर भी होंगे. मंदिर परिसर में ही संतों के निवास, शोध केंद्र, प्रसाद हाल, कर्मचारियों के आवास, एवं भोजन कक्ष भी होंगे.
ज्ञात हो कि लगभग 33 साल पूर्व यानी 1987 में विश्व हिंदू परिषद के श्री अशोक सिंघल के कहने पर चीफ आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने श्रीराम मंदिर का मॉडल तैयार किया था. गौरतलब है कि चंद्रकांत सोमपुरा के पिता प्रभाकरजी सोमपुरा ने ही गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर का भी डिजाइन तैयार किया था. श्रीराम मंदिर का निर्माण ढाई से तीन साल के भीतर पूरा होने का कयास लगाया जा रहा है. उसकी वजह यह बताई जा रही है कि मंदिर में प्रयोग होनेवाले पत्थरों को तराशने का कार्य लगभग 65 प्रतिशत पहले पूरा किया जा चुका है. मंदिर निर्माण के लिए पत्थर मंगाने और उन्हें तराशने का 1990 यानी तीस वर्ष पूर्व ही शुरू कर दिया गया था.
कहा जा रहा है कि मंदिर के शिलान्यास के लिए करीब 40 किलो वजन वाले चांदी की ईंट तैयार कराई गई है. चांदी की यह ईंट मंदिर की नींव में रखी जायेगी. ऐसी भी चर्चा है कि श्रीराम मंदिर निर्माण में बाबर के वंशज प्रिंस हबीबुद्दीन तुसी एक करोड़ 80 लाख रूपये की कीमत वाली सोने की ईंट भेंट करेंगे, जिस पर श्रीराम नाम अंकित होगा. मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम के इस भव्य मंदिर के निर्माण में लगभग सभी धर्म के लोगों का योगदान होने के कारण यह मंदिर सर्वधर्म का जीता-जागता प्रतीक साबित हो सकता है, क्योंकि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान श्रीराम के आदर्श पर चले.