जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) स्थित जेके लोन अस्पताल (JK Lon Hospital) में अब तक 112 मासूम बच्चों (Kota Infant Deaths) की मौत हो चुकी है और इस मसले पर मचा सियासी घमासान भी थमने का नाम नहीं रहे रहा है. कोटा के अस्पताल में हुई बच्चों की मौत को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ahok Gehlot) और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) आमने-सामने हैं. बच्चों की मौत को लेकर हाल ही में सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि हमें इस मुद्दे पर और संवेदनशील होना चाहिए था. वहीं गुरुवार को सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के बयानों पर प्रतिक्रया देते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री होने के नाते अगर कोई परेशानी है तो वे उसकी तरफ इशारा कर सकते हैं और सरकार में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है कि उसे ठीक करें.
इसके साथ ही मासूम बच्चों की मौत पर सीएम अशोक गहलोत ने दुख जताते हुए कहा कि मृत्यु दर में बीमारी से होने वाली सभी प्रकार की मौतें शामिल हैं. राज्य इसकी रोकथाम के लिए पूरी कोशिश कर रहा है. मैं हर मासूम बच्चे की मौत से दुखी हूं. हालांकि साल 2014 के बाद से मृत्यु दर में कमी आई है और यह आंकड़ा 65 से घटकर 36 हो गया है. हम सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
हर मासूम की मौत से हूं आहत- सीएम अशोक गहलोत
Rajasthan CM Ashok Gehlot on Kota infant deaths:The death rate includes all kinds of deaths due to illness. The State is trying its best. I'm pained at every death. Since 2014 the death rate has lowered, from 65 it has come down to 38. We are trying to make the facilities better. pic.twitter.com/QLSDAHQzoQ
— ANI (@ANI) January 9, 2020
हालांकि इससे पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस साल बच्चों की मौत के आंकड़ों में काफी कमी आई है. यह भी पढ़ें: कोटा में मासूम बच्चों की मौत पर अशोक गहलोत बोले-सीएए को लेकर देश के मौजूदा माहौल से ध्यान हटाने के लिए उठाया जा रहा मुद्दा
बता दें कि 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया था. इस पैनल में शामिल विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान का असंतुलित हो जाना) की वजह से अधिकांश बच्चों की मौत हुई है. इसके साथ ही अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को भी इसके लिए जिम्मेदार माना गया है.