महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच उद्धव और राज ठाकरे आएंगे साथ? राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत
Uddhav Thackeray and Raj Thackeray | X

मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले के बाद मचे बवाल ने एक नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. इस विवाद ने न सिर्फ मराठी अस्मिता के मुद्दे को हवा दी है, बल्कि करीब दो दशक पहले अलग हुए राज और उद्धव ठाकरे को एक मंच पर लाने का संकेत भी दिया है. फिल्ममेकर महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर महाराष्ट्र और मराठी भाषा के हित में जरूरत पड़ी, तो वह अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ भी काम करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, "जब बड़े मुद्दे सामने होते हैं, तो आपसी झगड़े छोटे हो जाते हैं. महाराष्ट्र और मराठी जनता के लिए हमारे मतभेद कोई मायने नहीं रखते."

साथ आना मुश्किल नहीं

राज ठाकरे ने यह भी कहा कि साथ आना मुश्किल नहीं है, बस इसके लिए इच्छा शक्ति होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मुद्दा ये नहीं कि मैं व्यक्तिगत रूप से क्या चाहता हूं, मुद्दा है कि महाराष्ट्र के बड़े हितों के लिए कौन क्या त्याग कर सकता है." ये बयान ऐसे समय पर आए हैं जब राज्य में मराठी बनाम हिंदी की बहस तेज हो चुकी है.

एकजुटता की उम्मीद

राज ठाकरे की यह बात इस ओर इशारा करती है कि अगर महाराष्ट्र और मराठी भाषा पर कोई संकट आता है, तो राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाई जा सकती है. ऐसे संकेत पहली बार नहीं आए हैं, लेकिन मौजूदा माहौल में इनका असर कहीं ज्यादा गहरा हो सकता है.

बीजेपी के फैसले के खिलाफ बढ़ता विरोध

भाजपा सरकार के हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले के बाद शिवसेना (UBT), कांग्रेस और NCP जैसी महाविकास अघाड़ी की पार्टियों ने जोरदार विरोध जताया है. वहीं, अब NDA के सहयोगी राज ठाकरे की भी यही चिंता है, जिससे राजनीति में नई करवट आने की संभावना बढ़ गई है.

क्या ठाकरे बंधु साथ आएंगे?

हालांकि अभी उद्धव ठाकरे की ओर से कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राज ठाकरे के बयान ने साफ कर दिया है कि वे पुराने विवाद भुलाकर महाराष्ट्र के भविष्य के लिए साथ आने को तैयार हैं. अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ठाकरे बंधु फिर से एक मंच साझा करेंगे?