अयोध्या मामले (Ayodhya) में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम लला (Ram Lalla) के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत में उनकी अगुआई विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) नेता त्रिलोकी नाथ पांडे (Trilok Nath Pandey) ने की. शिशु भगवान राम के 'नेक्स्ट फ्रेंड (सखा)' पांडे पिछले एक दशक से मामले में पक्षकार बने हुए हैं. पांडे ने कहा है कि राम जन्मभूमि के मुद्दे पर हिंदुओं में जागरूकता फैलाने की जरूरत है.
बीबीसी को हाल ही में दिए बयान के हवाले से पांडे (75) ने कहा, "ईश्वर की अगुआई करना सम्मान का काम है. यह सोचकर कि इस काम के लिए करोड़ों हिंदुओं के बीच मुझे चुना गया है, मेरे अंदर गर्व और खुशी फैल जाती है." राम लला विराजमान एक नवजात भगवान राम हैं, जिन्होंने 1989 में अपने 'नेक्स्ट फ्रेंड' तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश देवकी नंदन अग्रवाल के माध्यम से मामला दायर किया था.
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देवकी नंदन अग्रवाल का आठ अप्रैल 2002 को निधन हो गया, जिसके बाद कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के इतिहास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर टी.पी. वर्मा राम लला के 'नेक्स्ट फ्रेंड' के तौर पर स्वीकार किया. साल 2008 में वर्मा ने आयु और स्वास्थ्य का हवाला देकर 'नेक्स्ट फ्रेंड' के दर्जे से सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर दिया. इनके बाद 2010 में पांडे 'नेक्स्ट फ्रेंड' नियुक्त हो गए.