जयपुर : राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एवं कोटा लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी रहे रामनारायण मीणा ने कहा है कि राज्य में स्थिर सरकार सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के आंतरिक संकट को मिलजुलकर सुलझाया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की हार हुई है और चुनाव परिणाम के बाद से पार्टी में घमासान जारी है. मीणा ने आशंका जताते हुए कहा कि भाजपा का उच्च नेतृत्व कांग्रेस में चल रहे आंतरिक संकट का फायदा उठा सकता है और अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने में केन्द्र संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग कर सकता है.
बुधवार को पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक से पूर्व मीणा ने बातचीत में कहा, ''मुझे इस बात का भय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संविधान की धारा 356 :राष्ट्रपति शासन: का दुरुपयोग कर अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर सकते हैं, इसलिये हमारे नेताओं को आतंरिक संकट का एक परिवार की तरह मिलजुलकर हल करना चाहिए.’’
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मीणा ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं तथा पार्टी के संकट को और गहरा करने की बजाय उनके संघर्ष को मजबूत किया जाना चाहिए. पांच बार के विधायक मीणा ने कहा कि यदि उनसे पूछा गया तो वह पार्टी स्तर पर निश्चित तौर पर अपने विचार रखेंगे. आंतरिक मामले को मिलजुलकर सुलझाया जाना चाहिए.
ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाते हुए मीणा ने कहा कि मशीन संदेह से परे नहीं हैं और उनके साथ छेड़छाड़ संभव है. उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकतंत्र के हितों के विरोध में कुछ भी कर सकते हैं. यह बिल्कुल ठीक समय है उन संगठनों के लिये जो लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखते हैं और चुनौती का दृढ़ता से सामना करते हैं.
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की अध्यक्षता में बुधवार को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई है. राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की हार हुई है. भाजपा ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि एक सीट से भाजपा की गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल विजयी हुए हैं.
राज्य की 200 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 100 विधायक हैं और पार्टी को समर्थन दे रहे राष्ट्रीय लोकदल के विधायक के साथ पार्टी बहुमत में है. कांग्रेस को बसपा के छह विधायकों के बाहर से सर्मथन के साथ ही 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला हुआ है.