लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में मिली करारी हार के बाद बिहार (Bihar) की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) के पटना (Patna) स्थित आवास पर बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) की बड़ी बैठक हुई. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, महागठबंधन की इस बैठक में कांग्रेस (Congress) का कोई भी नेता मौजूद नहीं था. मालूम हो कि इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों ने महागठबंधन बनाया, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस को छोड़कर आरजेडी सहित अन्य दलों के सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता महागठबंधन को छोड़कर अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं.
इस चुनाव में वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस, आरजेडी और बीजेपी सहित कई दलों से भले ही पीछे रह गई हो, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस की सफलता का प्रतिशत (स्ट्राइक रेट) आरजेडी से बेहतर है. इस चुनाव में 19 सीटों पर लड़ने वाली आरजेडी एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारकर किशनगंज सीट पर जीत का पताका फहरा दिया. यही एकमात्र सीट है, जो इस चुनाव में महागठबंधन जीत सकी है.
Bihar: No Congress leader is present at the RJD grand alliance meeting being held at former Bihar CM & RJD leader Rabri Devi's residence in Patna.
— ANI (@ANI) May 29, 2019
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेसी और बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह ने महागठबंधन से अलग होकर कांग्रेस को चुनाव में उतरने की सलाह देते हुए स्पष्ट कहा, 'पार्टी को बैसाखी से उबरना होगा. अपनी धरातल, अपनी जमीन को तो मजबूत करना ही होगा.' महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नाइंसाफी के विषय में सदानंद सिंह कहते हैं, 'महागठबंधन में कमियां तो थीं ही, कांग्रेस को भी कम सीटें मिली हैं. समझौता समय से पहले नहीं हो पाया.' यह भी पढ़ें- बिहार में अगले साल होंगे विधानसभा चुनाव, महागठबंधन को करना होगा बड़ी चुनौती का सामना
बहरहाल, करीब तीन दशकों से बिहार में बैसाखी के सहारे चल रही कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने 'एकला चलो' की बात शुरू कर दी है, लेकिन बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वालों का कहना है कि कांग्रेस के लिए यह फैसला भी उतना आसान नहीं है.
आईएएनएस इनपुट