एक अमेरिकी राज्य ने अब टीचरों को भी स्कूल में बंदूक लेकर जाने की अनुमति दे दी है. प्रांतीय सरकार का कहना है कि ऐसा स्कूलों में सुरक्षा के लिए किया गया है.अमेरिकी राज्य टेनेसी में मंगलवार को एक विधेयक पारित किया जो शिक्षकों को स्कूलों में बंदूकें ले जाने की अनुमति देता है, हालांकि यह बंदूकें छुपा कर ले जानी होंगी. साथ ही यह बात किसी को भी पता नहीं होगी कि स्कूल में किस के पास हथियार है. अब इसे गवर्नर बिल ली के पास विचार के लिए भेजा जाएगा जो स्वयं एक रिपब्लिकन नेता हैं. हालांकि यह बिल कानून बनेगा, चाहे ली इस पर हस्ताक्षर करें या ना करें.
इस कानून ने दोबारा उस बहस को जन्म दे दिया है जिसमें एक तरफ लोग कहते हैं कि हिंसा का जवाब दिया जाना चाहिए, चाहे आत्म-रक्षा के लिए ही सही. दूसरी ओर वो लोग हैं, जिनका मानना है कि स्कूल, कॉलेज और बाकी शिक्षा संस्थानों में हथियार ले जाने देना और ज्यादा हिंसा को बढ़ावा देना है.
टेनेसी की असेंबली में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य ज्यादा संख्या में हैं, वहां यह विधेयक 68-28 वोटों से पारित हुआ. पारित होते समय विरोध करने वालों ने इसे "ब्लड ऑन यॉर हैंड्स”, यानी कि "आपके हाथ खून से रंगे हैं" कह कर प्रदर्शन किया. डेमोक्रैटिक पार्टी के सभी सदस्यों समेत चार रिपब्लिकन नेताओं ने भी इस विधेयक के खिलाफ वोट डाला.
बिल क्या करने की अनुमति देता है?
कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को जो स्कूल के अंदर हैंडगन ले जाना चाहता है, उसे स्कूल पुलिसिंग में कम से कम 40 घंटे का प्रशिक्षण पूरा करना होगा, साथ ही साथ हर साल 40 घंटे का अतिरिक्त प्रशिक्षण भी पूरा करना होगा. स्कूल प्रशासन को उस व्यक्ति को बंदूक ले जाने की मंजूरी देनी होगी, और प्रिंसिपल और कानून का पालन कराने वाली उपयुक्त एजेंसी के प्रमुख से लिखित में यह मंजूरी लेनी होगी.
इसके साथ ही व्यक्ति के बारे में अधिकारी जांच करेंगे, उसे एक टेनेसी प्रशासन की ओर से अधिकृत डॉक्टर के यहां मनोवैज्ञानिक परीक्षण से गुजरना होगा. स्कूल के बड़े कार्यक्रमों के अलावा ऑडिटोरियम या फिर जिम में बंदूक ले जाने की अनुमति नहीं दी गई है.
डेमोक्रेटिक पार्टी के लोगों की तीखी टिप्पणी
रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने डेमोक्रेटिक नेताओं की ओर से आए संशोधन के सुझाव भी खारिज कर दिए. उन संशोधनों में माता-पिता की सहमति, स्कूल में किसी के हथियारबंद होने पर अधिसूचना जारी करना और हथियारबंद व्यक्ति के स्कूल में होने की वजह से किसी भी मौत या चोट की जिम्मेदारी स्कूल को लेने जैसे प्रावधान थे.
डेमोक्रेट राज्य प्रतिनिधि जस्टिन जोन्स ने कहा, "रिपब्लिकन नेताओं ने अपने गन इंडस्ट्री के दोस्तों को खुश करने के लिए इस राज्य को दांव पर लगा दिया है. यह एक पागलपन है.”
क्यों आया कानून?
हाल के वर्षों में स्कूल में गोलीबारी आम घटना बनती जा रही है. टेनेसी बिल भी उस घटना के एक साल से कुछ अधिक समय बाद आया है जब एक शूटर ने नैशविले प्राथमिक विद्यालय में तीन बच्चों और तीन कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. ऐसी ही घटनाओं को आधार बना कर रिपब्लिकन पार्टी ने यह बिल पेश किया था.
बिल पेश करने वाले रिपब्लिकन राज्य प्रतिनिधि राइन विलियम्स ने कहा, "हम एक तोड़ बना रहे हैं. हमारे राज्य में हमें गोलीबारी से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.”
टेनेसी में मार्च 2023 में द कान्वेंट कान्वेंट स्कूल नैशविले में एक शूटर ने अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें तीन बच्चे और तीन वयस्कों की मौत हो गई. पुलिस की कार्रवाई में शूटर मारा गया.
टेनेसी अकेला राज्य नहीं है
बंदूक सुरक्षा समूह, गिफॉर्ड्स लॉ सेंटर के अनुसार, अमेरिका के लगभग आधे राज्य शिक्षकों या अन्य स्कूल कर्मचारियों को स्कूल में बन्दूक ले जाने की अनुमति देते हैं. 2023 की गोलीबारी के तुरंत बाद, टेनेसी रिपब्लिकन पार्टी ने बंदूक और गोला-बारूद डीलरों, निर्माताओं और विक्रेताओं से जुड़े मुकदमों पर सुरक्षा बढ़ाने वाला एक कानून पारित किया था. इससे संकेत मिलते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी बंदूक कानूनों का समर्थन करती रही है.
एजुकेशन कमीशन ऑफ द स्टेट्स और गिफॉर्ड्स लॉ सेंटर के अनुसार अमेरिका में फिलहाल 10 राज्य स्कूल में किसी ना किसी रूप में बंदूक ले जाने की अनुमति देते हैं. ये राज्य हैं अलबामा, अलास्का, इदाहो, इलिनॉय, मिशिगन, मसूरी, न्यू हैम्पशायर, ओरेगॉन, रोड आइलैंड, दक्षिण डकोटा, यूटा और व्योमिंग
अमेरिका में बढ़ती गोलीबारी की घटनाएं
अमेरिका में बंदूक हिंसा बच्चों की हत्या का एक प्रमुख कारण है. गन वायलेंस अर्काइव के आंकड़ों के अनुसार, इस साल बंदूक हिंसा में अब तक 18 वर्ष से कम उम्र के 436 बच्चे मारे गए हैं.
पिछले साल मार्च में भी नैशविले की घटना हुई थी. गैरसरकारी संगठन एवरी टाउन फॉर गन सेफ्टी के मुताबिक करीब 34 राज्य अमेरिका में शिक्षक और आम जनता को स्कूलों में बंदूक ले जाने की अनुमति नहीं देते.
एसके/एनआर (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)