लोकसभा चुनाव में 25 मई को छठे चरण का मतदान हुआ. अब सिर्फ एक चरण बचा है, जिसकी वोटिंग 1 जून को होगी. चुनाव में ईवीएम खराब होने और मतदान रोके जाने जैसी शिकायतें पहले चरण से शुरू हुईं, जो छठे चरण तक जारी रहीं.25 मई को छठे चरण में सात राज्यों और एक केंद्र-शासित प्रदेश की 58 सीटों पर मतदान हुआ. इस चरण में बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, हरियाणा और दिल्ली में वोट डाले गए. चुनाव आयोग के मुताबिक छठे चरण की 58 सीटों पर कुल 59 फीसदी मतदान हुआ.
छठे चरण में उत्तर प्रदेश की 4 सीटों पर मतदान हुआ. पिछले पांच चरण के मतदान के दौरान जिस तरह की कथित धांधली की शिकायतें आ रही थीं, वे शिकायतें छठे चरण में भी जारी रहीं. न सिर्फ यूपी में, बल्कि अन्य राज्यों में भी. ओडिशा की पुरी सीट से बीजेपी उम्मीदवार संबित पात्रा ने भी ईवीएम मशीनों के खराब होने और उसकी वजह से कई घंटे मतदान रुके रहने की शिकायत की. इसके अलावा दिल्ली के कई इलाकों से भी ऐसी खबरें आईं. अन्य जगहों से भी मशीनों की खराबी की वजह से मतदान रुकने की शिकायतें दिनभर आती रहीं.
यूपी में समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से तमाम जगहों पर वोटिंग में हो रही गड़बड़ी की शिकायत की. इलाहाबाद, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, बस्ती, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, श्रावस्ती में कई जगह ईवीएम मशीनों के खराब होने की सूचना मिली. कुछ जगहों पर मशीनें ठीक भी कराई गईं, लेकिन मशीनों के खराब होने की वजह से कुछ जगहों पर मतदान घंटों बाधित रहा.
किस तरह की आ रहीं शिकायतें
कई जगह मतदाता भीषण गर्मी में भी लाइनों में खड़े रहे, लेकिन मशीन खराब होने की वजह से मतदान नहीं कर पाए. जौनपुर, डुमरियागंज, मछलीशहर और श्रावस्ती लोकसभा सीटों की कई जगहों पर विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं ने बीजेपी और पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की अपील करते हुए निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित कराने की अपील की है.
ये सारी शिकायतें यूं तो छठे चरण की हैं, लेकिन ऐसी गंभीर शिकायतें हर चरण में आती रही हैं. चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और कुछ मामलों में कार्रवाई भी की, लेकिन शिकायतों में कमी नहीं आई. न ही ईवीएम संबंधी शिकायतों में और न ही पुलिस-प्रशासन के असहयोग और परेशान करने संबंधी शिकायतों में.
विपक्ष के कार्यकर्ताओं के आरोप
जौनपुर में समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता दिनेश यादव कहते हैं, "पुलिस-प्रशासन बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के इशारे पर काम करता रहा. विपक्ष की एक-एक गाड़ी चेक करता रहा. यहां तक कि मोटरसाइकिलें भी चेक की गईं, लेकिन बीजेपी की गाड़ियां बिना चेक हुए कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र थीं." दिनेश यादव के मुताबिक मतदान केंद्रों पर मतदान के दौरान भी पुलिस और प्रशासन का यही रवैया रहा.
छठे चरण में यूपी की जौनपुर सीट पर भी मतदान हुआ. मतदान के बाद पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बने स्ट्रॉन्ग रूम में कड़ी सुरक्षा में सभी ईवीएम जमा कराए गए. स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर जवानों को तैनात कर दिया गया. सपा कार्यकर्ता भी यहां ईवीएम की निगरानी में लगे थे. लेकिन रात 11 बजे ईवीएम से भरा एक छोटा ट्रक यहां पहुंचा, जिस पर हंगामा मच गया. हालांकि, बाद में डीएम ने बताया कि इस ट्रक में रिजर्व ईवीएम मशीनें थीं, जिन्हें उस वक्त के लिए रखा जाता है, जब कहीं मशीन खराब हो जाए. हालांकि, इस ट्रक को कहीं और ले जाना था, जो गलती से स्ट्रांग रूम के पास पहुंच गया था.
जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा, "डीसीएम में रिजर्व ईवीएम थीं. कहीं मशीनें कम पड़ जाती हैं या कोई खराबी आती है, तो इसे रिप्लेसमेंट के तौर पर रखा जाता है. नायब तहसीलदार इसके प्रभारी थे. ट्रक गलती से वहां पहुंच गया था. रिजर्व ईवीएम मतदान के दौरान वितरित किए गए. ईवीएम की लिस्ट दे दी गई है. लिस्ट के हिसाब से ईवीएम के सत्यापन भी करा लिए गए हैं."
पांचवें चरण में एटा जिले में एक नाबालिग लड़के का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह आठ बार बीजेपी को वोट दे रहा था. वीडियो मतदान के दिन का था, लेकिन प्रशासन ने उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया. लेकिन जब वही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और विपक्षी नेताओं, खासकर समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की, तो राज्य चुनाव आयोग ने कई दिनों बाद उसका संज्ञान लिया और लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. बाद में उस लड़के को गिरफ्तार भी किया गया. यही नहीं, राज्य निर्वाचन आयोग ने कड़े निर्देश देते हुए अगले चरण के चुनावों में इस तरह की स्थिति न पैदा होने के निर्देश भी दिए. पर शिकायतें छठे चरण में भी जारी रहीं.
क्या कह रहे हैं जानकार
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि मतदान के दौरान लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जिनसे चुनाव आयोग की गरिमा को ठेस लग रही है या यूं कहें कि चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है. उनके मुताबिक, "मतदान केंद्रों इत्यादि पर ईवीएम मशीनों के खराब होने, प्रशासन के असहयोग इत्यादि की खबरें तो पहले भी आती रही हैं, लेकिन जिस तरह से मतदान प्रतिशत में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी दिखाई जा रही है, उससे आयोग की निष्पक्षता पर काफी सवाल उठ रहे हैं और लोगों को संदेह पैदा हो रहा है. दूसरे, इतनी शिकायतों के बाद भी सवाल यह उठता है कि मशीनें इतने बड़े पैमाने पर खराब क्यों हो रही हैं. क्या उन्हें दुरुस्त रखने का कोई तरीका आयोग के पास नहीं है."
न सिर्फ मतदान के दौरान, बल्कि स्ट्रॉन्ग रूम में जमा ईवीएम मशीनों को लेकर भी संदेह जताए जा रहे हैं और चुनाव आयोग को निशाने पर लिया जा रहा है.
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाम एक्स पर संदेश जारी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, "हमीरपुर में जहां चुनाव के बाद ईवीएम रखे हैं, वहां के स्ट्रॉन्ग रूम में बार-बार बिजली कट रही है. चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन इसका तुरंत संज्ञान ले. सभी सपा प्रत्याशियों और जुझारू कार्यकर्ताओं से यही अपील है कि इसी तरह पूरे प्रदेश में ईवीएम के स्ट्रॉन्ग रूम पर निगाह रखें और गड़बड़ी की किसी भी आशंका की सूचना हमें दें."
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने 'रियल टाइम' मतदान आंकड़ों और निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अंतिम आंकड़ों के बीच 'भारी अंतर' पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर पोस्ट में लिखा है कि देश में चल रहे लोकसभा चुनाव में रियल टाइम मतदान और बाद में निर्वाचन आयोग की ओर से जारी संशोधित मतदान के आंकड़ों में अब तक 1.07 करोड़ वोटों की वृद्धि हुई है. उन्होंने आगे लिखा है कि रियल टाइम और संशोधित आंकड़ों में वोटों की इतनी बड़ी वृद्धि अभूतपूर्व और चौंकाने वाली है.
जमीनी स्तर पर धांधली की शिकायतों और केंद्रीय स्तर पर चुनाव आयोग पर उठ रहे ऐसे सवालों पर चुनाव आयोग की खामोशी को लेकर लोगों का संदेह और बढ़ रहा है. खासकर विपक्ष का.