साल 2020: मोदी सरकार के सामने 5 बड़ी चुनौतियां, महंगाई, मंदी, रोजगार, निवेश और कृषकों की आय !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साल 2020 में सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान करने की रहेगी.

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    साल 2020: मोदी सरकार के सामने 5 बड़ी चुनौतियां, महंगाई, मंदी, रोजगार, निवेश और कृषकों की आय !

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साल 2020 में सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान करने की रहेगी.

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    साल 2020: मोदी सरकार के सामने 5 बड़ी चुनौतियां, महंगाई, मंदी, रोजगार, निवेश और कृषकों की आय !
    पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credits: PTI)

    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के सामने साल 2020 में सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान करने की रहेगी. 2019 में तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें इस दिशा में विशेष कामयाबी नहीं मिली. देश के अर्थ विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थ व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने एवं उच्च विकास-दर प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार को कई मोर्चों पर सक्रिय बनना पड़ेगा. आइये जानें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने वे कौन-सी पांच चुनौतियां हैं, जिस पर कार्य कर वे देश की गिरती अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान कर सकते हैं.  

    राजकोषीय घाटा

        इसमें कोई शक नहीं कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती बनी रहने के कारण कर संग्रह प्रभावित हुआ है. हालिया प्राप्त आंकड़ों की के अनुसार वर्तमान में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सालाना लक्ष्य के 107 प्रतिशत तक पहुंच गया है. वित्त मंत्रालय ने चालू वित्तीय वर्ष में घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का करीब 3.4 प्रतिशत तक का लक्ष्य रखा है. हालांकि वर्तमान में वित्तीय स्थिति को देखते हुए सरकार के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा. क्योंकि निरंतर बढ़ता राजकोषीय घाटा अर्थ व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित करता है. इससे ब्याज दर तो बढ़ता ही है, साथ ही महंगाई भी बढ़ती है. राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना या कम करना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी. यह भी पढ़े: कांग्रेस की ‘भारत बचाओ’ रैली: प्रियंका गांधी का केंद्र सरकार पर बड़ा हमला- मोदी है तो महंगाई, बेरोजगारी मुमकिन है

    निजी निवेश को आकर्षित करने  का लक्ष्य

    प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015 में निजी निवेश की दर 30.1 प्रतिशत था. 2019-20 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की स्ट्रैटजिक सेल करने और नॉन फाइनेंसियल सेक्टर में सीपीईसी को मजबूती देने की बात कही थी, लेकिन इन सबके बावजूद साल 2019 में निजी निवेश की दर 28.9 प्रतिशत रही. आर्थिक विशेषज्ञों के अऩुसार निजी व सरकारी निवेश बीते 14 साल के न्यूनतम स्तर पर है.

    रोजगार के अवसर बढ़ाने की चुनौतियां

    गत वर्ष में विभिन्न कारणों से देशभर में छोटी एवं मझोली कंपनियां प्रभावित हुई हैं. बड़ी कंपनियों में भी नौकरी के अवसरों में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है. देश भार के श्रमबल में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 6.1 % थीजो 45 साल का उच्चतम स्तर था, वहीं शहरी बेरोजगारी की दर जनवरी-मार्च 2019 की अवधि में घटकर 9.3 प्रतिशत थी, जबकि अप्रैल-जून 2018 में यह 9.8 प्रतिशत थी.

    किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य

    केंद्र सरकार ने साल 2022 तक किसानों की सकल आय को दुगना करने का लक्ष्य रखा है. देश के सर्वाधिक उत्पादकता वाले कृषि के इस क्षेत्र पर देश की लगभग 58 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या निर्भर करती है. किसानों की आय वादों के अनुरूप नहीं बढ़ा पाने का मुख्य कारण है देश में कृषि का आधुनिकीकरण नहीं होना और परंपरागत कृषि पद्धतियों का अति प्राचीन चलन. इन बाधाओं से पार पाने के बाद ही केंद्र सरकार किसानों को फसल की सही कीमत दिला सकेगी. अब देखना है नये वर्ष पर सरकार इस दिशा में कौन सा सुधारवादी कदम उठाती है.

    महंगाई पर नियंत्रण रखने का प्रयास

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक अनुमान के अनुसार जनवरी से मार्च 2020 तक खाने-पीने की वस्तुओं में महंगाई बढ़ेगी. महंगाई बढ़ने से मांग प्रभावित होगीजिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना कठिन हो जाएगा. इस दिशा में मोदी सरकार ऑटोमैटिक सिस्टम प्रक्रिया शुरु करने की योजना बना रही है, जिसके जरिये महंगाई को नियंत्रित किया जा सकेगा.

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