नई दिल्ली, 24 मई: भारतीय राजनीति में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू (JDU) के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इस बार यह पूरा मसला जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री बने आरसीपी सिंह (RCP Singh) की राज्यसभा में वापसी के सवाल के साथ शुरू हुआ और अभी तक इस विवाद का कोई समाधान निकल भी नहीं पाया था कि जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार द्वारा उठाए गए कदम ने भाजपा के सामने एक और परेशानी खड़ी कर दी है. दरअसल, लंबे समय तक चले वाद-विवाद और कई फॉर्मूले पर चर्चा के बाद जेडीयू कोटे से केवल एक नेता आरसीपी सिंह को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था.
लेकिन अब राज्यसभा का उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने जा रहा है. मंत्री बने रहने के लिए उनका सांसद बने रहना जरूरी है लेकिन विधायकों की संख्या के आधार पर जेडीयू सिर्फ एक उम्मीदवार को ही जीता सकती है लेकिन उस सीट को लेकर भी कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं.
बताया जा रहा है कि कई मुद्दों पर भाजपा का साथ देने के कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं और इस बार उनका राज्यसभा का टिकट कट सकता है. जाहिर तौर पर अगर भाजपा ने उनकी मदद नहीं की तो उन्हें मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ सकता है. हालांकि राजनीति के चतुर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश कुमार ने अभी तक अपनी मंशा साफ नहीं की है, लेकिन उनके करीबी एवं जेडीयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बयानों से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि जेडीयू में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.
हालांकि नीतीश कुमार को भी इस बात का अहसास है कि अगर आरसीपी सिंह को मोदी मंत्रिमंडल से जाना पड़ा तो जेडीयू को अपने कोटे से किसी अन्य नेता को मोदी कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
आरसीपी सिंह से जुड़ा विवाद अभी थम भी नहीं पाया था कि बिहार में जातीय जनगणना के मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की मांग मान कर सर्वदलीय बैठक बुलाकर नीतीश ने भाजपा के सामने एक और संकट खड़ा कर दिया है.
तो क्या नीतीश कुमार पहले की तरह, इस बार भी पाला बदलने का मन बना चुके हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया कि भाजपा-जेडीयू गठबंधन मजबूत है और इसे मजबूत बनाए रखने के लिए ही ज्यादा विधायक होने के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां तक भाजपा का सवाल है, नीतीश कुमार 2025 तक गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री बने रहेंगे.
बिहार में राजनीतिक हलचल के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने तमाम अटकलों को खारिज तो कर दिया, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी आलाकमान की नजर बिहार के हालात पर बनी हुई है क्योंकि बिहार हमारे लिए महत्वपूर्ण राज्य है.