महाराष्ट्र: MVA गठबंधन से बाहर निकली समाजवादी पार्टी, बाबरी मस्जिद पर शिवसेना की टिप्पणी से सपा नाराज

Samajwadi Party Exits MVA Alliance: महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (एसपी) ने विपक्षी महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी है. यह फैसला शिवसेना (यूबीटी) के बाबरी मस्जिद विध्वंस पर दिए गए विवादित बयान के बाद लिया गया है.

क्या है मामला? 

समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख अबू आज़मी ने शनिवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी अब MVA का हिस्सा नहीं रहेगी. यह कदम शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर के एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया. पोस्ट में बालासाहेब ठाकरे की बाबरी मस्जिद विध्वंस की तारीफ का जिक्र था.

पोस्ट में लिखा गया था: “जिन्होंने यह किया, मैं उन पर गर्व करता हूं.”

यह पोस्ट तेजी से वायरल हुई और शिवसेना (यूबीटी) पर यह सवाल उठने लगे कि क्या वे फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं और कठोर हिंदुत्व की राह पकड़ सकते हैं.

गठबंधन पर क्या पड़ेगा असर? 

MVA के सहयोगियों, विशेषकर समाजवादी पार्टी और एनसीपी के नेताओं ने शिवसेना (यूबीटी) के इस रुख की कड़ी आलोचना की. एसपी विधायक रईस शेख ने इसे "भारत के इतिहास का काला दिन" कहकर पोस्ट की निंदा की. उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) ने धर्मनिरपेक्ष वोटरों का भरोसा तोड़ा है.

फहद अहमद, जो एनसीपी-एसपी के उम्मीदवार रह चुके हैं, ने भी इस कदम को "भीड़तंत्र की जीत और संविधान की हार" करार दिया.

बालासाहेब ठाकरे का राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख योगदान रहा है. शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी माना कि 1992 के दौरान बालासाहेब ने बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी ली थी.

समाजवादी पार्टी का फैसला 

अबू आज़मी ने स्पष्ट किया कि शिवसेना (यूबीटी) का यह रवैया धर्मनिरपेक्ष राजनीति के खिलाफ है और एसपी ऐसे गठबंधन में नहीं रह सकती. समाजवादी पार्टी के इस फैसले ने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया है. MVA का मजबूत धर्मनिरपेक्ष गठबंधन अब कमजोर पड़ता नजर आ रहा है. शिवसेना (यूबीटी) के इस विवादित कदम ने सहयोगी दलों के बीच असहमति पैदा कर दी है. शिवसेना (यूबीटी) का यह कदम न केवल गठबंधन को झटका देगा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेगा.