लोकसभा ने होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक को दी मंजूरी
संसद (Photo Credits : IANS)

नई दिल्ली.लोकसभा ने बृहस्पतिवार को ‘होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी. इसमें होम्योपैथी केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन की अवधि मौजूदा एक साल से बढ़ाकर दो साल करने के प्रस्ताव किया गया है. संसद की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बनने पर संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा. निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए आयुष मंत्री श्रीपद यशो नाईक (Shripad Yasho Naik) ने कहा कि इस संबंध में 2018 में अध्यादेश लाया गया था. यह संशोधन पुराना है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले इस संशोधन के जरिये एक साल में नयी परिषद गठित करने की बात कही गई थी लेकिन कई राज्यों में परिषद का चुनाव नहीं होने और इस संबंध में रजिस्टर तैयार नहीं होने के कारण हम परिषद एक साल बढ़ाने का प्रावधान कर रहे हैं. ’’

उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने इसे लाने की जरूरत के बारे में पूछा, तो हम बताना चाहते हैं कि होम्योपैथी परिषद के शासक मंडल को बर्खास्त किया गया क्योंकि वहां भ्रष्टाचार था. अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए थे.

नाईक (Shripad Yasho Naik) ने कहा कि देश में कई होम्योपैथी कालेज ऐसे थे जो केवल काजग पर थे और ऐसे ही बच्चों को डिग्री दे रहे थे.  ऐसे में गुणवत्तापूर्ण डाक्टर सुनिश्चित करने के लिये अध्यादेश लाया गया.

मंत्री के जवाब के बाद संसद ने अधीर रंजन चौधरी के सांविधिक संकल्प को नामंजूर करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी . 17वीं लोकसभा में निचले सदन में पारित होने वाला यह दूसरा विधेयक है.

इससे पहले विधेयक पेश करते हुए श्रीपद नाईक ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि होम्यपैथी कॉलेजों और इसकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो. इसी प्रयास के तहत संशोधन किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि नये संशोधन के तहत होम्योपैथी केंद्रीय परिषद का कार्यकाल एक साल की बजाय दो साल का होगा. मंत्री ने कहा कि सरकारी संचालन निकाय का गठन किया गया जो काम कर रही है. विधेयक पारित होने के बाद नयी परिषद का गठन होगा जिसमें विशेषज्ञ लोगों को जगह दी जाएगी.

उन्होंने का कि सरकार आयुष विधाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसी दिशा में पिछले पांच वर्षों से प्रभावी ढंग से काम हो रहा है.

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि यह सरकार अध्यादेश का इस्तेमाल बैसाखी के रूप में करती है और होम्योपैथी परिषद के संचालन में कमियों को दूर करने की बजाय अध्यादेश का सहारा लिया गया.

उन्होंने कहा कि यह सरकार ‘अध्यादेश की है, अध्यादेश के लिए है और अध्यादेश द्वारा है।’

चौधरी ने कहा कि मंत्री ने इसी सदन में कहा था कि एक साल के भीतर होम्योपैथी परिषद का गठन कर दिया जाएगा, लेकिन नहीं हुआ.

उन्होंने सवाल किया कि जहां भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाया जाता है तो कांग्रेस को बुरा क्यों लगता है? खुद होम्योपैथी विधा से जुड़े राजोरिया ने कहा कि वह चौधरी की इस मांग का समर्थन करते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष और खासकर होम्योपैथी की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि यह विधा गरीबों के लिए है.

तृणमूल कांग्रेस की अपूर्वा पोद्दार ने कहा कि सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की बात करती है, लेकिन होम्योपैथी में देशी दवाओं की बजाय जर्मन दवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है.

उन्होंने कहा कि पश्विम बंगाल में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान में शिक्षकों की कमी को दूर किया जाए और दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में चल रहे औषधालय में आयुष के चिकित्साकर्मियों की स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए.

(भाषा इनपुट के साथ)