महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजे झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों पर डाल सकते हैं असर, जानें कैसे
झारखंड के सीएम रघुबर दास और पीएम मोदी (Photo Credit-PTI)

महाराष्ट्र (Maharashtra) और हरियाणा (Haryana) में संपन्न हुए चुनाव के बाद अब झारखंड (Jharkhand) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) को लेकर हलचल तेज हो गई है. चुनाव आयोग जल्द की सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान कर सकता है. वर्तमान की रघुवर दास सरकार (Raghubar Das) का कार्यकाल 27 दिसंबर हो समाप्त हो रहा है. चुनाव आयोग की तैयारियों का साथ-साथ झारखंड में राजनीतिक दलों की तैयारियां भी तेज हो गई हैं. महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणामों का झारखंड के चुनावों पर असर पड़ सकता है. राजनीतिक पार्टियों सहित आम जनता पर भी महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजे असर दिख सकता है.

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणामों से बीजेपी और कांग्रेस दोनों सबक लेंगी. एक और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों को लेकर बीजेपी में जोश है तो वहीं हरियाणा के नतीजे इस बात का सबक कि कांग्रेस को कम आंकना भूल होगी. वहीं कांग्रेस के लिए सबक होगा की बीजेपी को हराने के लिए पार्टी को और जोर लगाना होगा.

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बीजेपी को महागठबंधन की चुनौती-

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी खेमे में उत्साह भी दिख रहा है. विपक्षी दलों का मानना है की सभी पार्टियां साथ आकर बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा सकती है. सूबे में बीजेपी का कड़ा मुकाबला महागठबंधन से हो सकता है.  सूत्रों की माने तो झारखंड में महागठबंधन में आपसी सहमति बन चुकी है. महागठबंधन का नेतृत्व झारखंड मुक्ति मोर्चा करेगी जबकि कांग्रेस नंबर दो की पार्टी होगी. महागठबंधन मे झारखंड विकास मोर्चा और आरजेडी को भी शामिल करने की बातचीत चल रही है. हालांकि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होगा.

झारखंड में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है. मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेतृत्व वाली बीजेपी यहां सत्ता बरकरार रखने के लिए दम भर रही है. वहीं कांग्रेस के पास मौका है की दो राज्यों में मिली हार के बाद वह झारखंड में कुछ कर दिखाए. झारखंड विधानसभा के लिए 2014 में 81 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) ने पांच सीटें जीतीं. इसके साथ ही 81-सदस्यीय विधानसभा में 41 के बहुमत के निशान को पार करने में NDA कामयाब रही. इस बार के चुनाव देखना यह होगा की बीजेपी अपनी सत्ता बचा पाती है या विपक्ष मात देने में कामयाब होता है.