रविवार 19 मई को लोकसभा चुनाव 2019 संपन्न हो गए हैं. आज रिजल्ट का दिन है और शुरुआती रुझान भी आने शुरू हो गए हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की बुलढाणा सीट के रुझान भी आ रहे हैं. हिंगोली में शिवसेना के हेमंत पाटिल (Hemant Patil) और कांग्रेस (Congress) के सुभाष वानखेड़े के बीच मुख्य मुकाबला हैं. बता दें कि लोकसभा चुनावों के लिहाज से महाराष्ट्र एक अहम राज्य हैं जिसमें 48 लोकसभा सीट है. महाराष्ट्र में शुरुआत के 4 चरणों में लोकसभा चुनाव हुए थे. रविवार 19 मई को आये ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से आगे रहने का अनुमान लगाया गया है.
बता दें कि साल 2014 में मोदी लहर बाद भी राजीव सातव इस सीट से शिवसेना (Shivsena) के उम्मीदवार सुभाष वानखेड़े को पटखनी देते हुए चुनाव जीतकर कांग्रेस की इज्जत बचाई. राजीव को इस सीट पर जीत नहीं मिलती तो महराष्ट्र में नांदेड (Nanded) से एक मात्र कांग्रेस के सांसद अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) होते क्योंकि कांग्रेस को हिंगोली के साथ नांदेड सीट पर भी जीत मिली थी. यह भी पढ़े: अमरावती लोकसभा सीट: जानें 2019 के उम्मीदवार, मौजूदा सांसद, मतदान की तारीख और चुनाव परिणाम
2014 में इस प्रत्याशी को इतने मिले थे वोट
कांग्रेस - राजीव -4,67,397
शिवसेना- सुभाष वानखेड़े - 4,65,765
बीएसपी- चुन्ननीलाल जाधव- 25,145
हिंगोली सीट का इतिहास
हिंगोली लोकसभा सीट महाराष्ट्र के अस्तित्व में आने के बाद 1997 पहली बार कांग्रेस को जीत मिली. जिसके बाद इस सीट से लंबे समय तक किसी पार्टी का कब्ज़ा नहीं रहा है. हिंगोली सीट पर कभी कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) तो कभी शिवसेना को जीत मिली है. हिंगोली लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है. दरअसल, कभी बहुजन समाज पार्टी (BSP) तो कभी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी (RPI) हिंगोली लोकसभा सीट पर कांग्रेस और शिवसेना का समीकरण बिगाड़ती रही है.
कुल विधानसभा सीट
हिंगोली लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती है. जिसमें उमरखेड, हिंगोली, किनवट, हदगांव, वसमत, कलमनुरी शामिल है.
दूसरे चरण 18 अप्रैल को इस सीट पर होगा वोटिंग
बता दें कि महाराष्ट्र में कुल चार चरण के मतदान होना है. 11 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होने के बाद दूसरे चरण में 18 अप्रैल को हिंगोली समेत 10 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. ऐसे में इस सीट से देखना होगा कि 2014 में मोदी लहर के बाद भी कांग्रेस इस सीट से जीतने में सफल हुई थी. तो क्या इस बार भी यहां की जनता कांग्रेस के उम्मीदवार को ही चुनाव जीताना पसंद करती है या फिर दूसरे उम्मीदवार पर भरोसा करती है.