शुरू होने से पहले ही विफल हो गई है जी20 की बैठक?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

दक्षिण अफ्रीका में जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक शुरू हो रही है, जिसमें अमेरिका के विदेश मंत्री शामिल नहीं होंगे. क्या यह गैरहाजिरी बैठक की विफलता है?विकसित और विकासशील देशों के समूह जी20 के विदेश मंत्री गुरुवार, 20 फरवरी से शुरू होने वाली दो दिन की बैठक के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में जुट रहे हैं. पहली बार यह बैठक अफ्रीका महाद्वीप में आयोजित की जा रही है. एजेंडा वैश्विक मुद्दों से भरा हुआ है, लेकिन सबसे बड़ा विकसित देश अमेरिका में इसमें शामिल नहीं होगा.

मध्य पूर्व और यूक्रेन में जारी युद्ध इस बैठक के प्रमुख औपचारिक विषय होंगे. साथ ही, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक संस्थानों के पुनर्गठन, जलवायु परिवर्तन और अधिक न्यायसंगत आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की मांग कर रही हैं. दक्षिण अफ्रीका, जिसने पिछले साल जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी, इस बात पर जोर देता रहा है कि अमीर देशों को अपने कम समृद्ध समकक्षों की बात सुननी चाहिए.

अमेरिका के ना होने का असर

अब जी20 के एजेंडा पर चर्चा को लेकर कई संदेह खड़े हो गए हैं क्योंकि इस बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो हिस्सा नहीं लेंगे. रुबियो ने वॉशिंगटन और प्रिटोरिया के बीच बढ़ते तनाव के कारण अपनी भागीदारी रद्द कर दी थी. इसके बजाय, अमेरिका का प्रतिनिधित्व प्रिटोरिया में अमेरिकी दूतावास के मिशन उप-प्रमुख डाना ब्राउन द्वारा किया जाएगा. रुबियो ने दो हफ्ते पहले ही कह दिया था कि वह इस बैठक में शामिल नहीं होंगे. उनका यह फैसला अमेरिकी सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका की भूमि अधिग्रहण नीतियों और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इस्राएल के खिलाफ दायर मुकदमे को लेकर की गई आलोचनाओं के बाद आया है.

जोहानिसबर्ग के विटवॉटरसैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विलियम गुमेडे ने चेतावनी दी कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ना आने से बैठक की दिशा प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा, "यह अफ्रीकियों को एक प्रतीकात्मक संदेश भेजता है: अमेरिका अफ्रीका को गंभीरता से नहीं ले रहा है." पिछली जी20 बैठक में भी ट्रंप चर्चा का विषय रहे थे.

अमेरिका के उच्च स्तरीय प्रतिनिधित्व की अनुपस्थिति केवल विदेश मंत्रियों की बैठक तक सीमित नहीं है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने भी अगले सप्ताह केप टाउन में होने वाली जी20 वित्त मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि उनके पास "वॉशिंगटन में जरूरी काम" है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनकी अनुपस्थिति अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संभावित बैठक से जुड़ी हो सकती है.

यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शासन पर तनाव

दक्षिण अफ्रीका में जी20 की बैठक एक तनावपूर्ण माहौल में हो रही है, क्योंकि यूक्रेन में जारी युद्ध ने जी20 के सदस्य देशों के बीच राजनयिक संबंधों को प्रभावित किया है. दक्षिण अफ्रीकी राजदूत जोलिसा माबोंगो ने माना कि अफ्रीका और यूरोप में जारी संघर्ष चर्चा के मुख्य विषय होंगे, लेकिन जी20 सदस्यों के बीच बढ़ता विभाजन एक बड़ी चुनौती होगा.

प्रिटोरिया में इंस्टिट्यूट फॉर सिक्योरिटी स्ट्डीज के वरिष्ठ शोधकर्ता प्रियाल सिंह कहते हैं कि इन चर्चाओं का महत्व बहुत ज्यादा है, लेकिन अमेरिका और उसके यूरोपीय साझेदारों के बीच बढ़ती खाई से राजनयिक प्रयास और जटिल हो सकते हैं. दक्षिण अफ्रीका की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विकास संबंधी एजेंडे को आगे बढ़ाने की क्षमता इन तनावों से प्रभावित हो सकती है. सिंह ने कहा, "इस बैठक के संदर्भ में सबसे बड़ा मुद्दा इसका भू-राजनीतिक माहौल है."

विभाजन के बीच विविध प्रतिनिधित्व

अमेरिकी अधिकारियों की गैरहाजिरी के बावजूद, प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बैठक में भाग लेंगे. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपनी हाजिरी की पुष्टि की है, जबकि चीन के वांग यी और भारत के डॉ. एस जयशंकर भी बैठक में शामिल होंगे. यूरोपीय प्रतिनिधित्व में फ्रांस के विदेश मंत्री ज्याँ-नोएल बैरो और ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी शामिल होंगे.

दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने अमेरिकी अनुपस्थिति को लेकर चिंताओं को कम करने का प्रयास करते हुए कहा, "प्रतिनिधित्व थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन वे मौजूद रहेंगे. यह दक्षिण अफ्रीका के जी20 के पूरी तरह से बहिष्कार की स्थिति नहीं है." दक्षिण अफ्रीका नवंबर 2025 तक जी20 का अध्यक्ष रहेगा, जिससे कई पर्यवेक्षकों को उम्मीद है कि यह देश वैश्विक स्तर पर अफ्रीका के हितों की वकालत कर सकेगा. जी20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता को महाद्वीप के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे वैश्विक दक्षिण के लिए अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा. 2023 की जी20 की बैठक में भारत ने अफ्रीकी संघ को समूह की सदस्यता दिलाई थी.

दक्षिण अफ्रीका की परीक्षा

हालांकि, वॉशिंगटन के साथ बढ़ते तनाव से दक्षिण अफ्रीका की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा हो रही है. ट्रंप सरकार ने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को निलंबित कर दिया, जिसमें भूमि सुधार और अंतरराष्ट्रीय विवादों में दक्षिण अफ्रीका की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई थी. अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकानेरों (डच और फ्रेंच उपनिवेशियों के वंशजों) के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है. इसके पीछे दक्षिण अफ्रीका का एक भूमि अधिग्रहण कानून है, जिसके तहत खाली पड़ी जमीनें वापस लेने का प्रावधान है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने अमेरिका के आरोपों को बेबुनियाद बताया है.

जैसे-जैसे विदेश मंत्री जमा हो रहे हैं, एक प्रमुख सवाल यह है कि क्या दक्षिण अफ्रीका इस बैठक का इस्तेमाल एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है, या अमेरिका की अनुपस्थिति और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव इसके प्रयासों को विफल कर देंगे. फिलहाल, प्रिटोरिया इन कूटनीतिक बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित नजर आ रहा है. बैठक से पहले एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "हम न तो डरेंगे, न विचलित होंगे, और न ही दबाव में झुकेंगे."

वीके/एए (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)

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