कोलकाता : पश्चिम बंगाल में रविवार को चिकित्सकों की हड़ताल को छह दिन हो गए हैं जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाएं आंशिक रूप से बाधित रहीं और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में सन्नाटा पसरा रहा. रविवार को अवकाश होने के कारण, बाह्य-रोगी विभाग बंद रहे और अस्पतालों के बाहर या आपातकालीन वाडरें में जाने वाले रोगियों की संख्या भी कम थी.
हालांकि, आपातकालीन सेवाएं सामान्य रूप से कार्य करती पाई गईं. अस्पतालों के हड़ताली डॉक्टर विरोध प्रदर्शनों के केंद्र एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आयोजित होने वाली एक जनरल बॉडी मीटिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं. बैठक, जिसमें अगला कदम तय होगा, इसमें हड़ताल में शामिल अन्य अस्पतालों के प्रतिनिधि भी भाग लेगें.
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जानकार सूत्रों के मुताबिक, गतिरोध खत्म करने के लिए विरोध करने वाले डॉक्टर शायद चर्चा की गुंजाइश तलाश रहे हैं. शुक्रवार की रात, हड़ताली डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य सचिवालय में वार्ता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, इसके बजाय उन्हें एनआरएस अस्पताल में आने के लिए कहा.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने ममता बनर्जी को लिखा और उन्हें चिकित्सकों को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें विश्वास में लेने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी. मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि सरकार आवश्यक कार्रवाई कर रही है.
सयंतन बंदोपाध्याय ने कहा, "विरोध केवल सीसीटीवी, सशस्त्र सुरक्षा और लोहे के फाटकों के बारे में नहीं है. एक डॉक्टर होने के नाते मैं जानता हूं कि इन अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण डॉक्टरों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है."
बंदोपाध्याय डॉक्टर परिभा मुखर्जी के रिश्तेदार हैं जिन पर सोमवार को देर रात एनआरएस अस्पताल में कथित तौर पर चिकित्सा लापरवाही के चलते दम तोड़ देने वाले 75 वर्षीय मरीज के परिजनों द्वारा हमला किया गया था.
इस घटना के बाद चिकित्सकों ने हड़ताल शुरू कर दी. मृतक मरीज के एक रिश्तेदार मोहम्मद शबीर ने कहा, "मैं चिकित्सकों से अपने काम को फिर से शुरू करने की अपील करता हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि निर्दोष मरीज मरें."