Budget 2019: नीतीश ने अंतरिम बजट को बताया ‘सकारात्मक’, लालू बोले- जुमलों के बाजार में 'झूठ की टोकरी' सजाने का कोई फायदा नहीं
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद (Photo Credits: IANS/ANI)

बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) द्वारा संसद (Parliament) में शुक्रवार को पेश अंतरिम बजट (Interim Budget) को सकारात्मक और स्वागत योग्य बताया. सीएम नीतीश कुमार ने केंद्रीय अंतरिम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट सकारात्मक और स्वागत योग्य है. बजट में देश के सभी किसानों (Farmers) के खाते में सीधे 6000 रुपये प्रतिवर्ष देने के फैसले का मुख्यमंत्री ने स्वागत किया और कहा कि इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) मजबूत बनेगी. अंतरिम बजट में असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) में काम कर रहे लोगों को प्रतिमाह 3000 रुपये पेंशन (Pension) देने के प्रावधान को भी मुख्यमंत्री ने सही कदम बताया. मुख्यमंत्री ने आयकर (Income Tax) की सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने को बेहतर कदम बताते हुए कहा कि इससे मध्यम वर्ग (Middle Class) को राहत मिलेगी.

वहीं, राष्टीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने इसे ‘‘झूठ का पुलिंदा’’ बताकर खारिज किया. लालू ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि इस बजट का उसे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में कोई फायदा नहीं मिलने वाला है. चारा घोटाले से जुड़े कई मामलों में सजा काट रहे लालू ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "झूठ की टोकरी जुमलों के बाजार में सजाने का कोई फायदा नहीं. लोग अब जुमले सुनते ही नहीं, बल्कि समझते भी हैं. समझकर मुस्कुराते ही नहीं, बल्कि ठहाका लगाते हैं." आरजेडी अध्यक्ष और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद न्यायिक हिरासत में हैं. अस्वस्थ लालू का इलाज रांची के एक अस्पताल में चल रहा है. अपने ट्विटर अकाउंट से वे अक्सर विरोधियों पर निशाना साधते रहे हैं. यह भी पढ़ें- राहुल गांधी का PM मोदी पर हमला, कहा- किसानों को एक दिन का 17 रुपये देकर किया अपमान, चुनाव में सरकार पर जनता करेगी सर्जिकल स्ट्राइक

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि अंतरिम बजट के नाम पर मोदी सरकार ने गैरसंवैधानिक पूरा बजट पेश किया है. यह संसदीय परंपरा और नैतिकता के विरूद्ध है. जो भी घोषणाएं हैं उन्हें आगामी सरकार को लागू करना है. यह जनता के साथ छलावा है. अगर जनता की इतनी ही फ़िक्र थी तो विगत 5 साल से क्या पकौड़े तल रहे थे?