पटना, 12 नवंबर: बिहार चुनाव में कई युवा वैसे तो चुनाव (Election) जीत कर विधानसभा तक पहुंचने में सफल रहे हैं, लेकिन कई युवा ऐसे भी हैं जो अपने विधानसभा क्षेत्रों में वोट तो अच्छी खासी ले आए, लेकिन वे अंतिम तक बढ़त नहीं बना सके और उनका विधानसभा पहुंचने का सपना टूट गया. ऐसे में राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के कई युवा हैं. महागठबंधन में शामिल कांग्रेस (Congress) ने इस चुनाव में 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन 19 प्रत्याशी ही जीत सके. कई युवा चेहरों को इस चुनाव में मात खानी पड़ी. कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस को 70 सीटें दी गई.
दरअसल, कांग्रेस केवल 45 सीटों पर ही लड़ रही थी, शेष 25 सीटों को तो महागठबंधन के सभी घटक पहले से ही हारी जा चुकी मान रहे थे, इनमें से कई भाजपा के गढ़ थे. कांग्रेस ने सोचा कि आगे आने वाले समय में पार्टी के विस्तार को ध्यान में रखते हुए उसे अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. आंकडों पर गौर करें तो सुल्तानगंज क्षेत्र से कांग्रेस ने कई चुनावों के बाद अपने उम्मीदवार उतारे. कांग्रेस ने इस चुनाव में वहां से युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार को प्रत्याशी बनाया. कांग्रेस के ललन कुमार को जहां 61,017 मत मिले वहीं जदयू के प्रत्याशी ललित नारायण मंडल को 72,620 मत प्राप्त हुए.
मतगणना के कई दौर के बाद ललन आगे भी रहे, लेकिन अंत में वे पिछड़ गए. इधर, इस चुनाव में कांग्रेस भागलपुर के कहलगांव से नौ बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश को टिकट थमाया. यहां से भाजपा के पवन कुमार यादव ने शानदार जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी शुभानंद मुकेश को 42,893 वोटों से हराया. पवन यादव को 1,15,326 वोट मिले, वहीं शुभानंद मुकेश को 72,379 वोट ही मिल सके और वे कांग्रेस का किला नहीं बचा सके.
इसी तरह बेलदौर में भी कांग्रेस के युवा चेहरा चंदन यादव को कड़े मुकाबले में हार का मुंह देखना पड़ा. चंदन कांग्रेस कमिटि के सचिव हैं. चंदन को 51,064 वोट मिले जबकि जदयू के पन्ना लाल पटेल को 56,353 वोट मिले. दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव को भी इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. सुभाषिनी की जीत के लिए यहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पहुंचकर वोट देने की अपील की थी, लेकिन वे जीत नहीं सकी.
यहां से सुभाषिनी को 61,650 वोट पर संतोष करना पड़ा जबकि जदयू के निरंजन कुमार मेहता को 81,109 मत मिले. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज युवा नेता चुनाव हारे. ऐसे में अब उन्हें संगठन में जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी चल रही है. वैसे, कांग्रेस इस चुनाव के मतगणना में गड़बड़ी का भी आरोप लगा रही है.