Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2022: कभी नरम, कभी गरम, कभी करमवीर योद्धा के रूप में याद रहेंगे अटल जी!
(Photo Credit : Twitter/@shubhamrai80)

Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2022: 25 दिसंबर को दुनिया भर में जहां शांति और शालीनता का प्रतीक पर्व क्रिसमस मनाया जाता है, उसी दिन देश में क्रिसमस के साथ ही ‘सुशासन दिवस’ के रूप में भारत-रत्न प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती भी मनाई जाती है. गौरतलब है कि 25 दिसंबर 2024 को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर के एक संभ्रांत शिक्षक परिवार में हुआ था. इस वर्ष उनकी 98वीं जयंती मनायी जायेगी. आइये जानते हैं तीन बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में क्यों मनाया जाता है. साथ ही जानें अटल जी के कुछ प्रेरक कोट्स...

‘विकास पुरुष’ से ‘भीष्म पितामह’ बनने तक

वह अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जो तमाम वैचारिक मतभेदों के बावजूद सभी दलों के नेताओं के साथ परस्पर अच्छा संबंध रखते थे. विपक्षी दल का नेता होने के दौरान उन्हें अन्य पार्टी द्वारा ‘गलत पार्टी में सही नेता’ भी कहकर संबोधित किया जाता था. देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘विकास पुरुष’के नाम से भी संबोधित किया गया. बाद में अटल जी ने स्वास्थ्य के चलते राजनीति से संन्यास तो ले लिया था, मगर पार्टी सदस्यों के लिए वह भीष्म पितामह के रूप में हमेशा उपलब्ध रहे. वाजपेयी जी अपने मजबूत भाषणों, वक्तृत्व कौशल एवं दोस्ताना व्यवहार के लिए हमेशा याद किये जाते रहेंगे. इसके साथ ही वह एक कवि और दयालु नेता भी थे. 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया.

राजनीतिक करियर

1951 में जनसंघ की स्थापना के साथ ही अटल जी भी सुर्खियों में रहे. 1952 में लखनऊ में हुए लोकसभा उपचुनाव में वह कांग्रेस की शिवराजवती नेहरू से हार गये. 1968 से 1973 तक वह जनसंघ के अध्यक्ष रहे. 1957 में गोंडा (उप्र) सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे. मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977-1979 तक विदेश मंत्री रहे. 1980 में भाजपा की स्थापना के साथ अटल जी अध्यक्ष बने. उन्होंने बलरामपुर, ग्वालियर, नई दिल्ली, विदिशा, गांधीनगर और लखनऊ लोकसभा सीट से 9 बार चुनाव जीता. दो बार राज्यसभा सदस्य रहे. एक विचारशील महान राजनेता, अटल जी ने बतौर प्रधान मंत्री तीन बार शासन किया. पहली बार 1996 में 13 दिन, 1998 से 1999 में 13 माह और 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल तक प्रधानमंत्री रहे. 2004 के आम चुनाव में उन्होंने 'इंडिया शाइनिंग' का नारा दिया, लेकिन भाजपा को बहुमत नहीं मिला.

वाजपेयी द्वारा लिए अहम निर्णय

साल 1998 में, वाजपेयी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना शुरू की, जिसने किसानों को बैंक-ऋण देने में क्रांति लाई. इसी वर्ष, मई में चार परमाणु परीक्षणों से भारत को पूर्ण परमाणु शक्ति बनाया. 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच शांति के उद्देश्य से अमृतसर से लाहौर तक सद्भावना बस लांच किया. 1999 में ही कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को पीटकर उसकी हैसियत बतायी. 2000 में तीन नए राज्यों उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड का गठन कर उन्हें सक्षम बनाया. देश में पहली राष्ट्रीय दूरसंचार नीति के तहत स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, टेलीकॉम नीति भी लागू की गई. संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के अच्छे संबंधों का श्रेय भी अटल बिहारी वाजपेयी जी को ही जाता है.

अटल बिहारी वाजपेयी के प्रेरक कोट्स

* छोटे मन से कोई बड़ा नहीं हो सकता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं हो सकता.

* हम अहिंसा में विश्वास रखते हैं, और चाहते हैं कि विश्व के संघर्षों का समाधान शांति और समझौते के मार्ग से हो.

* ईश्वर भी आकर कहे कि छुआछूत मानो, तो मैं ऐसे ईश्वर को मानने को तैयार नहीं.

* आज मानव और मानव के बीच में जो भेद की दीवार खड़ी है, उसे हटाना होगा. इसके लिए राष्ट्रीय अभियान की आवश्यकता हैं.

* मानव जीवन अनमोल है, इसे केवल अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी जीएं.

* अपना जीवन जीना एक कला है, एक विज्ञान है. इन दोनों में समन्वय आवश्यक है.

* भारत, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ एक राष्ट्र है, अनेक राष्ट्रीयताओं का समूह नहीं.

* मुझे अपने हिंदुत्व पर अभिमान है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं मुस्लिम विरोधी हूं.

* सूर्य एक सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता, लेकिन ओस की बूंद भी तो एक सच्चाई है.

* निराशा की अमावस में हम अपना मस्तक आत्म-गौरव के साथ तनिक ऊँचा उठाकर देखें.