असदुद्दीन ओवैसी ने की मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए कानून बनाने की मांग
असदुद्दीन ओवैसी (Photo Credtis ANI)

हैदराबाद : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार मॉब लिंचिंग-भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने (Mobs Lynching) की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र से कानून बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा केंद्र को कानून का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिए एक साल हो गए हैं लेकिन मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया है.

मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों को आतंकवादी बताते हुए ओवैसी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का परिणाम हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कार्रवाई करके अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया.

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ओवैसी ने इस पर हैरानी जताई कि प्रधानमंत्री को कानून बनाने से क्या तीज रोक रही है, जबकि वह लगातार मुसलमानों का भरोसा जीतने की बात करते हैं. वह झारखंड में तबरेज अंसारी की हालिया हत्या के विरोध में शुक्रवार देर रात यहां एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे.

हैदराबाद के सांसद ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 50 से अधिक व्यक्तियों, जिनमें से अधिकांश मुसलमान हैं, वे मॉब लिंचिंग की घटानओं में मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि 23 मई से, जब चुनवा जीतकर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में दोबारा आई, तब से आठ लोग इस तरह की घटनाओं का शिकार हो चुके हैं.

ओवैसी ने कहा कि झारखंड में जहां भाजपा सत्ता में हैं, वहां पिछले साढ़े चार साल के दौरान 18 लोग मारे गए हैं. इनमें से 11 मुस्लिम हैं. सांसद ने कहा कि तबरेज अंसारी को रात भर भीड़ ने बांध कर पीटा और अगले दिन उसे पुलिस, डॉक्टरों और यहां तक कि जेल अधिकारियों द्वारा पक्षपात का सामना करना पड़ा और उचित उपचार के अभाव में उसकी मौत हो गई.

उन्होंने कहा कि अंसारी को मारने वाले भारत के गद्दार, दुश्मन और आतंकवादी हैं. सांसद ने कहा कि ऐसे लोगों और आतंकी संगठन आईएस में कोई अंतर नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं कहता रहा हूं कि मॉब लिंचिंग खत्म नहीं होगा क्योंकि लोगों के दिमाग में मुसलमानों के खिलाफ जहर भरा जा रहा है. यह नफरत पिछले 50 वर्षों से पैदा की जाती रही है लेकिन यह पिछले पांच वर्षों के दौरान चरम पर पहुंच गई है."

ओवैसी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे युवा जिन्होंने बाबरी मस्जिद के सांप्रदायिक दंगों और विध्वंस को नहीं देखा है, उनके दिमाग में भी जहर भर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को उम्मीद नहीं खोनी चाहिए और न ही स्थिति से डरना चाहिए. उन्होंने उनसे एकजुट रहने और लोकतंत्र की सीमा के भीतर उत्पीड़कों के खिलाफ संघर्ष करने और कानून को हाथ में न लेते हुए अपने विश्वास पर कायम रहने का आग्रह किया.

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में द्वारा मॉब लिंचिंग के मुद्दे को उठाए जाने का उल्लेख करते हुए, ओवैसी ने कहा कि एक भारतीय के रूप में वह इस पर शर्म महसूस करते हैं. सांसद ने हैरानी जताई कि मोदी कैसे भारत को 5 खरब की अर्थव्यवस्था बना देंगे जब लगभग 17 करोड़ मुसलमानों के खिलाफ नफरत पैदा की जा रही है.