नई दिल्ली: देश में 'एक देश-एक चुनाव' (One Nation, One Election) की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन कर दिया गया है. इस समिति में 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इस समिति का नेतृत्व बीजेपी सांसद पी. पी. चौधरी करेंगे. वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है. अब इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया है. जेपीसी की सिफारिशें मिलने के बाद अब नरेंद्र मोदी सरकार की अगली चुनौती इसे संसद से पास कराने की होगी.
वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा बिल संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी. जबकि दूसरे विधेयक को सामान्य बहुमत से ही पास किया जा सकता है. अनुच्छेद 368 (2) के तहत संविधान संशोधनों के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है. इसका मतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा इस विधेयक को मंजूरी देनी होगी.
जेपीसी में ये नेता शामिल
- अनुराग सिंह ठाकुर (BJP)
- पी.पी.चौधरी (BJP)
- डॉ. सीएम रमेश (BJP)
- बांसुरी स्वराज (BJP)
- परषोत्तमभाई रूपाला (BJP)
- विष्णु दयाल राम (BJP)
- भर्तृहरि महताब (BJP)
- डॉ. संबित पात्रा (BJP)
- अनिल बलूनी (BJP)
- विष्णु दत्त शर्मा (BJP)
- डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना- शिंदे गुट)
- प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस)
- मनीष तिवारी (कांग्रेस)
- सुखदेव भगत (कांग्रेस)
- सुप्रिया सुले (NCP-शरद गुट)
- धर्मेन्द्र यादव (समाजवादी पार्टी)
- कल्याण बनर्जी (TMC)
- टी.एम. सेल्वागणपति (DMK)
- जीएम हरीश बालयोगी (TDP)
- चंदन चौहान (RLD)
- बालाशोवरी वल्लभनेनी (जनसेना पार्टी)
एक देश-एक चुनाव क्या है?
'एक देश-एक चुनाव' का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है. इसके तहत हर पांच साल में एक बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे. इससे बार-बार चुनावी प्रक्रिया में लगने वाले समय, धन और संसाधनों की बचत होगी. केंद्र सरकार लंबे समय से यह दावा करती आ रही है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है.