India's First Digital Court: मुंबई का वाशी कोर्ट बना देश का पहला डिजिटल कोर्ट, अब तुरंत होंगे सभी फैसले
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Flickr)

India's First Digital Court: पूरे देश को डिजिटलीकरण करने का प्रयास निरंतर चल रहा है. इसी क्रम में नवी मुंबई का वाशी कोर्ट देश की पहली ऐसी अदालत बन चुका है जहां सभी कार्य अब डिजिटल होंगे. इस पहल से आम लोगों को बहुत आसानी से न्याय प्राप्त करने में सुविधा प्राप्त होगी. बॉम्बे हाई कोर्ट के जज गौतम पटेल ने वाशी कोर्ट को पेपरलेस डिजिटल बनाने की सराहना करते हुए कहा कि देश भर की विभिन्न अदालतों में बढ़ते मामले को देखते हुए यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा.

अदालतों का भार कम होगा

बता दें कि इस पहल से अदालतों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा. इसके अलावा डिजिटल कोर्ट कि मदद से व्यक्ति बड़ी आसानी से अपना केस ई-फाइल कर सकेगा साथ ही कोर्ट संबंधित अन्य काम जैसे न्यायालय शुल्क या अन्य दस्तावेज जमा करने के लिए कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा. व्यक्ति बड़ी आसानी से विभिन्न चैनलों के माध्यम से मामले की स्थिति को ऑनलाइन देख सकेगा. ये भी पढ़ें- Maharashtra: अजित पवार को EVM पर है पूरा भरोसा, कहा- जो हार नहीं पचा पाते वो इसपर सवाल खड़े करते हैं

पारदर्शिता सुनिश्चित होगी

कोर्ट के पेपरलेस होने से एक तो कागज पर निर्भरता कम होगी. बात दें कि अभी तक देश में ई-फाईलिंग की सुविधा थी, लेकिन वाशी कोर्ट के बाद धीरे-धीरे पूरे देश में डिजिटल फाइलिंग की सुविधा हो जाएगी. डिजिटल अदालत होने से जाहिर है पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और लंबित विवादों को जल्दी और कुशलता से निपटाने में मदद मिलेगी .

पेपरलेस कोर्ट कैसे करेगा काम ?

बात दें कि पेपरलेस कोर्ट का अर्थ होता है जहां अदालतें कागजों के बिना काम करती है. यह तरीका पूरी तरह से पारदर्शी और सटीक होता है. पहले चरण में अदालत को पूरी तरह से स्मार्ट कोर्ट में बदल दिया जाता है जिससे जज़ों, वकीलों और याचिकाकर्त्ताओं को दस्तावेज़ों के साथ जूझने से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा वकीलों को अदालत में पेश होने और अपने साथ केस की मोटी-मोटी फाइलें लाए बिना बहस करने की अनुमति होगी. बता दें कि केंद्र सरकार ने तकनीक का उपयोग कर न्याय तक पहुंच में सुधार लाने के उद्देश्य से ई-कोर्ट इंटीग्रेटेड मिशन मोड प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. लॉकडाउन के दौरान संपूर्ण भारत के न्यायालयों द्वारा 2 करोड़ से अधिक वर्चुअल सुनवाई की गई है, जिससे भारत वर्चुअल सुनवाई में विश्व में अग्रणी बन गया है. यातायात अपराधों की सुनवाई के लिए 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 21 वर्चुअल अदालतें स्थापित की गई हैं.