रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक चिंताजनक स्थिति फिर सामने आई है. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की है कि रूसी सेना में शामिल भारतीय नागरिकों की संख्या बढ़कर 44 हो गई है, जबकि कुछ महीनों पहले यह संख्या 27 बताई गई थी. इस बढ़ोतरी के बाद भारत सरकार ने रूस से इस प्रथा को तुरंत रोकने की मांग की है. रूस-यूक्रेन जंग की फ्रंटलाइन पर लड़ाई बेहद खतरनाक है. MEA के मुताबिक कम से कम 12 भारतीय युद्ध में मारे जा चुके हैं. कई भारतीयों का अब तक कोई पता नहीं, 16 को मिसिंग की लिस्ट में रखा गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि भारत लगातार रूस से संपर्क में है और भारतीयों की जल्दी रिहाई की मांग कर रहा है. साथ ही, प्रभावित परिवारों को भी हर अपडेट पहुंचाई जा रही है.
कैसे पहुंच रहे हैं भारतीय रूस की सेना में?
कई भारतीय युवक रूस में नौकरी या बेहतर भविष्य के लालच में वहां जाते हैं, अक्सर स्टूडेंट या बिजनेस वीज़ा पर. बाद में उन्हें बातचीत या धोखे से सेना की भर्ती में शामिल कर दिया जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, कश्मीर, पंजाब और हरियाणा के युवा ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा सामने आए हैं.
सरकार की अपील है, “रूसी सेना में भर्ती होने के किसी भी ऑफर से दूर रहें, यह जीवन के लिए बेहद खतरनाक है.’”
फर्जी एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई जारी
कई मामले ऐसे सामने आए हैं जहां एजेंट युवाओं को उच्च वेतन, कानूनी नौकरी जैसी झूठी बातें दिखाकर भेजते हैं. भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियां इन दलालों पर सख्त कार्रवाई कर रही हैं ताकि युवाओं को झांसे में न लिया जा सके.
कूटनीतिक स्तर पर प्रयास
भारत ने इस मुद्दे को कई बार रूस की शीर्ष नेतृत्व के सामने उठाया है, हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान भी यह मामला प्रमुख रहा. सरकार का लक्ष्य है कि जल्द से जल्द सभी भारतीय सुरक्षित घर लौटें.
जागरूक रहें
रूस-यूक्रेन युद्ध अभी समाप्त होने के संकेत नहीं दे रहा. ऐसे में किसी भी युवा का युद्ध में फंसना भविष्य के लिए बड़ा खतरा है.













QuickLY