मुंबई: कुछ देशों से मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले सामने आने के बाद BMC ने चिंचपोकली के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों को पृथक रखने की व्यवस्था के तहत 28 बिस्तरों वाला एक वार्ड तैयार रखा है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. बृहन्मुंबई महानगरपालिका ( BMC) के जन स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक मुंबई में मंकीपॉक्स के किसी भी संदिग्ध मरीज या पुष्ट मामले की कोई सूचना नहीं मिली है. Monkeypox: 11 देशों में फैला मंकीपॉक्स- समझिए क्या है यह वायरस, इसके लक्षण और इलाज.
अधिकारी ने बताया कि चिंचपोकली संदिग्ध मरीजों के आइसोलेशन के लिए कस्तूरबा अस्पताल में अलग वार्ड वार्ड नंबर 30 तैयार किया गया है. उनके नमूने एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे. पशुओं से फैलने वाले संक्रामक रोग के बारे में जारी एक एडवाइजरी में BMC ने कहा कि हवाई अड्डे के अधिकारी इस बीमारी से प्रभावित और गैर-प्रभावित देशों, जहां इसका प्रकोप बढ़ने की आशंका है, वहां से आने वाले यात्रियों की जांच कर रहे हैं.
मंकीपॉक्स को लेकर BMC हुई अलर्ट
The #BMC has kept 28 beds ready for isolation of suspected cases of #Monkeypox at Kasturba Hospital in Chinchpokli. For isolation of suspected cases, separate ward at Kasturba Hospital, ward No. 30 is prepared. Their samples will be sent to NIV Pune: Public health department.
— TOI Mumbai (@TOIMumbai) May 23, 2022
एडवाइजरी में कहा गया है, ‘‘संदिग्ध मरीजों को पृथक रखने के लिए कस्तूरबा अस्पताल में एक अलग वार्ड (28 बेड) तैयार किया गया है और उनके सैंपल पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) को जांच के लिए भेजे जाएंगे.'' मुंबई में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को सूचित किया गया है कि वे मंकीपॉक्स के किसी भी संदिग्ध मामले के बारे में कस्तूरबा अस्पताल को सूचित करें और ऐसे मरीजों को वहां भेजें.
बीएमसी के परामर्श के अनुसार, मंकीपॉक्स पशुओं से फैलने वाला वायरल संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में संक्रमण के मामले देखे गए हैं.
एडवाइजरी में बताया गया है, ‘‘मंकीपॉक्स में आमतौर पर बुखार, दाने निकलने और सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं और इससे चिकित्सा संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं.'' BMC ने कहा कि ये लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं और धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं. कभी कभी मामले गंभीर हो सकते हैं और इस रोग से मृत्यु दर 1-10 प्रतिशत तक है.