सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वन स्टॉप सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका है. वहीं अब इस योजना के जरिए विदेशों में रह रही भारतीय महिलाओं को भी मदद मिल सकेगी. महिला व बाल विकास मंत्रालय 9 देशों में 10 वन स्टॉप सेंटर खोलने जा रहा है. इन देशों में बहरीन, कुवैत, कतर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, ओमान, यूएई और सऊदी अरब शामिल हैं. सऊदी अरब में दो शहर जेद्दा और रियाद में वन स्टॉप सेंटर खोले जाएंगे. महिला व बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने बताया कि मंत्रालय ने इन सभी देशों में स्थापित भारतीय राजनयिक मिशन में वन स्टॉप सेंटर खोलने का प्रस्ताव विदेश मंत्रालय को भेजा है. मंत्रालय ने इस पर मंजूरी भी दे दी है. विदेश मंत्रालय के सहयोग से महिला व बाल विकास मंत्रालय इन सभी वन स्टॉप सेंटर को आवश्यकता अनुसार फंड जारी करेगा. यह भी पढ़ें: महिला बालविकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने सीएम उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र, कहा- गर्भवती और बीमार महिला सरकारी कर्मचारियों को मिले वर्क फ्रॉम होम की इजाजत
महिलाओं और बालिकाओं को मिलती है सहायता:
हिंसा से पीड़ित महिलायें, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की बालिकायें भी सम्मिलित है, उन्हें सहायता प्रदान करता है. 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता हेतु लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेन्टर से जोड़ना. मंत्रालय ने इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2015 में की थी, तब से अब तक तीन लाख से अधिक महिलाओं को इस केंद्र से सहायता मिली है.
योजना का उद्देश्य:
वन स्टॉप सेंटर के अंतर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, कानूनी सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा वन स्टॉप सेन्टर में ही उपलब्ध करायी जाती है.
पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए 74 करोड़ का फंड जारी:
मंत्रालय ने पीड़ित महिलाओं के अदालत आने-जाने का खर्च वहन करने के लिए 74 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है, ताकि इन महिलाओं को तुरंत सहायता मिल सके. पीड़ित महिलाओं के अदालत आने जाने के खर्च पर इस बजट को जिला मजिस्ट्रेट आवश्यकता अनुरूप इस्तेमाल कर सकते हैं.
देश में 701 वन स्टॉप सेंटर:
महिला व बाल विकास मंत्रालय की योजना वन स्टॉप सेंटर के तहत पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर मेडिकल सहायता, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने का स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहायता उपलब्ध कराती है. देश में 701 वन स्टॉप सेंटर हैं और आने वाले दिनों में 300 और ऐसे केंद्र स्थापित किए जाने हैं.