INS Vikrant: पीएम मोदी ने नौसेना को सौंपा आईएनएस विक्रांत, समंदर में कई गुना बढ़ जाएगी भारत की ताकत

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को भारतीय नौसेना को सौंपा. पीएम मोदी ने आईएनएस विक्रांत को समुद्र में उतारने से पहले भारत की विरासत के अनुरूप नए नौसेना पताका (निशान) का भी अनावरण किया. आईएनएस विक्रांत के साथ ही समंदर में भी भारत अपनी धाक को मजबूत करेगा.

विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं के साथ बनाया गया है और भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है. विक्रांत को भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया. इसका नाम भारत के पहले विमान वाहक के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

यहां देखें वीडियो

भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे.

आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा.

युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है. विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.

भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

विक्रांत का अर्थ विजयी और वीर होता है. स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी. जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं.

मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है. जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं.

यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा.