
भारत की आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस (Infosys) ने मैसूरु में 700 नए कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. ये सभी कर्मचारी हाल ही में भर्ती किए गए थे, लेकिन कंपनी के अनुसार, वे आंतरिक मूल्यांकन (Evaluation Test) में लगातार तीन बार फेल हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक, यह छंटनी अक्टूबर 2024 में शामिल हुए नए ट्रेनीज के लगभग आधे कर्मचारियों पर असर डाल रही है. इंफोसिस का कहना है कि उनकी भर्ती प्रक्रिया बहुत सख्त होती है. जब कोई नया कर्मचारी कंपनी से जुड़ता है, तो उसे मैसूरु कैंपस में ट्रेनिंग दी जाती है. इस ट्रेनिंग के बाद उन्हें एक आंतरिक मूल्यांकन टेस्ट पास करना होता है.
कंपनी के अनुसार सभी फ्रेशर्स को यह टेस्ट पास करने के लिए तीन मौके दिए जाते हैं. अगर कोई लगातार तीन बार फेल हो जाता है, तो वह कंपनी में आगे काम नहीं कर सकता. यह नियम पिछले दो दशकों से लागू है और इससे कंपनी को बेहतरीन प्रतिभा चुनने में मदद मिलती है.
कर्मचारियों का क्या कहना है?
निकाले गए कुछ कर्मचारियों का दावा है कि यह फैसला अन्यायपूर्ण है. एक पूर्व कर्मचारी ने कहा, "टेस्ट जानबूझकर बहुत मुश्किल बनाया गया था ताकि हमें फेल किया जा सके. कई लोग बेहोश हो गए क्योंकि उनका भविष्य अब अंधकारमय लग रहा है."
रिपोर्ट के मुताबिक, इंफोसिस ने कर्मचारियों को 50-50 के बैच में बुलाकर ‘म्यूचुअल सेपरेशन’ (Mutual Separation) लेटर साइन करने के लिए मजबूर किया.
Infosys पर आरोप
नासेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉईज सीनेट (NITES) के अनुसार, इंफोसिस करीब 700 नए कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है, जो अक्टूबर 2024 में भर्ती हुए थे. NITES अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने कहा, "यह एक चौंकाने वाला और अनैतिक कदम है. इंफोसिस ने बिना किसी ठोस कारण के हाल ही में नियुक्त 700 कर्मचारियों को जबरन नौकरी से निकालना शुरू कर दिया है."
हालांकि, इंफोसिस का कहना है कि वास्तविक संख्या 350 से कम है. इंफोसिस के इस फैसले का असर कंपनी के शेयरों पर भी पड़ा. शुक्रवार के बाजार सत्र के अंत में इंफोसिस के शेयर ₹1,902.85 पर ट्रेड कर रहे थे, जो पिछले दिन के ₹1,915.95 के मुकाबले 0.68% कम था.