विश्व साइकिल दिवस 2020: साइकिल का प्रयोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जरूरी
साइकिलिंग (Photo Credits: Facebook)

दुनिया भर में यातायात के कई साधन है, लेकिन एक सरल, किफायती, भरोसेमंद, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से फिट और टिकाऊ साधनों में साइकिल का नाम सबसे आगे हैं. साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल 3 जून को विश्‍व साइकिल दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साइकिल परिवहन का एक किफायती, विश्वसनीय और स्थायी साधन, पर्यावरणीय प्रबन्ध और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, कुछ कैंसर, मधुमेह और यहां तक कि मृत्यु के जोखिम को कम करते हुए परिवहन का एक प्रभावी तरीका उपलब्ध होता है।  इसलिए 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी।

कोविड19 में साइकिल

भारत में भी एक बड़ा वर्ग साइकिल की सवारी करता है. ग्रमिण भारत और छोटे शहरों की गलियों में आज भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए साइकिल का प्रयोग बहुतायत होता है. हांलाकि हाइटेक शहरों में भी स्वास्थ्य के प्रति सचेत काफी लोग साइकिल का प्रयोग एक्सरसाइज के तौर पर रोजाना करते हैं. हाल ही में भारत में भी साइकिल की सवारी पूरे विश्व में चर्चा में आ गई, जब एक 15 वर्षीय प्रवासी ज्योति नाम की लड़की ने अपने घायल पिता को गांव वापस लाने के लिए सैकड़ों मील की दूरी साइकिल से ही तय की. जिसकी चर्चा जब शुरू हुई तो युवा प्रतिभाओं को ओलंपिक सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भेजने वाले भारत के साइक्लिंग फेडरेशन ने भी उसे ट्रायल के लिए बुलावा भेज दिया. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इंवाका ने भी ज्योति के इस साहस की चर्चा की.

व्यायाम का सबसे अच्छा और सस्ता तरीका साइकिल

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा था कि हर शहर में साइकिल ट्रैक समर्पित होने चाहिए, साइकिल के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. क्योंकि साइकिल हमारे जीवन को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम का सबसे अच्छा और सस्ता तरीका है और लोगों को ऐसे पर्यावरण अनुकूल परिवहन के तरीके को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

इस दौरान उन्होंने बढ़ते प्रदूषण के स्तर के बारे में बात करते हुए  कहा कि दुनिया के कई शहर प्रदूषण और वाहनों से निकलने वाली गैसों के कारण लगभग चिमनियों में बदल गए हैं. उन्होंने कहा कि शहरों और अन्य शहरी स्थानों के लिए समय आ गया है कि वे बड़े पैमाने पर साइकिल चलाने को बढ़ावा दें. उन्होंने कहा कि हमारे शहरों में समर्पित साइकिल ट्रैक बनाए जाने चाहिए और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपना मार्ग प्रशस्त करना होगा. साइकिल चलाना प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों को कम करने में बहुत मदद करेगा. कैलोरी बर्न के अलावा, मांसपेशियों को मजबूत करने और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए, रोजाना साइकिल चलाने से दिल की बीमारियों और कैंसर का खतरा कम हो जाएगा.साथ ही सड़क सुरक्षा में सुधार करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.

जाहिर है लॉकडाउन ने भारत के प्रदूषण स्तर को काफी कम किया है. अब न सिर्फ आसमान में एक चमक दिखती है बल्कि पेड़ो पर हरियाली की चमक भी नजर आती है. तो चिड़ियों को चहचहाट की आवाज अब शहरों में भी सुनाई देने लगी हैं. ऐसे में पर्यावरण का स्तर बना रहे इसके लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है.

कोविड 19 के बीच साइकिल पर विशेष ध्यान-

प्रदूषण कम होने ने से पूरी दुनिया एक स्वच्छ हवा ले रही हैं. लेकिन इसे बरकरार रखना बड़ी चुनौती है. कई देश इस बात को अच्छी तरह समझ गए हैं. ऐसे में क्या साइकिल कोविड19 की समय हुई रिकवरी की चुनौतियों का आने वाले समय में समाधान हो सकता है? संयुक्त राष्ट्र के यूरोपीय सदस्य देशों ने हाल ही में इस प्रश्न के जवाब के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है.जो कोविड19 के बाद पर्यावरण के अनुकूल, स्वस्थ और ऐसे ही टिकाऊ बनाने के तरीके पर चर्चा करेंगे.

यूएनईसीई और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) यूरोप के संयुक्त तत्वावधान में परिवहन, स्वास्थ्य और पर्यावरण यूरोपीय कार्यक्रम (पीईपी) के तहत शुरू किए गए नए टास्कफोर्स का उद्देश्य इन चिंताओं को हल करना है कि पर्यावरण में हरियाली बनी रहे और लोगों का स्वास्थ भी बना रहे. टास्कफोर्स में सदस्य राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज, शिक्षाविदों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और इस क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और रणनीतिक परिवर्तनों का पता लगाएंगे.

अगले साल वियना में होने वाले परिवहन, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पांचवीं उच्च-स्तरीय बैठक में सदस्य राज्यों द्वारा समर्थन के लिए सिद्धांतों का प्रस्ताव किया जाएगा. कुछ दिन पहले यानी अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर अपने संदेश में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महामारी के बाद पर्यावरण को बनाए रखने के लिए छह जलवायु संबंधी क्रियाओं का प्रस्ताव दिया है, जिसमें जीवाश्म ईंधन को समाप्त करना भी शामिल हैं.