Stand-Up India Scheme: कोरोना संकट में स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की मदद से शुरू करें खुद का बिजनेस, जानिए कैसे?
रुपया (Photo Credits: Twitter/File)

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को आर्थिक तौर पर बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है. महामारी के दौरान लॉकडाउन में काम धंधे ठप होने से अर्थव्यवस्था चरमराने लगी. जिस वजह से उद्योग-धंधों की गति धीमी पड़ गई, परिणामस्वरूप लोगों की नौकरियां चली गई. देश के मध्यम वर्ग की कमर टूट गई. हालांकि इस संकट की घड़ी में केंद्र और राज्य सरकार लोगों की मदद के लिए विशेष योजनाये पेश कर रही है. जबकि पहले से मौजूद सरकारी स्कीम का फायदा लेकर भी खुद का कारोबार खड़ा किया जा सकता है. आज हम ऐसी ही एक केन्द्रीय योजना का जिक्र कर रहे है, जो न केवल आपके बिजनेस को शुरू करने में मदद करेगा, बल्कि बैंकों की भारी-भरकम ब्याज के टेंशन से दूर भी रखेगा.

केंद्र सरकार द्वारा 15 अगस्त 2015 को अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमियों के वित्तीयन (Financing) हेतु स्टैंड-अप इंडिया योजना शुरू की गई. स्टैंड अप इंडिया लोन योजना से एक अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति या फिर एक महिला को बैंक से लोन लेकर एक नई परियोजना या व्यवसाय की स्थापना करने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ तक का लोन दिया जाता है. ये उद्यम विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं.

पात्रता-

  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी, जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है
  • योजना के अंतर्गत सहायता केवल नई (ग्रीनफ़ील्ड) परियोजनाओं के लिए उपलब्ध है. इस संदर्भ में, नई (ग्रीनफ़ील्ड) परियोजना का अर्थ है - लाभार्थी का विनिर्माण या सेवाक्षेत्र या व्यापार क्षेत्र में पहली बार उद्यम लगाना.
  • गैर-व्यक्ति उद्यम के मामले में, 51% शेयरधारिता या नियंत्रक हिस्सेदारी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और/या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए.
  • उधारकर्ता किसी बैंक/वित्तीय संस्था के प्रति चूककर्ता (Defaulter) न हो.

कर्ज का आकार-

सावधि ऋण और कार्यशील पूँजी सहित परियोजना लागत का 75% संमिश्र ऋण. यदि किन्हीं अन्य योजनाओं से संमिलन सहायता के साथ उधारकर्ता का अंशदान परियोजना लागत से 25% अधिक हो तो, परियोजना लागत का 75% कवर करने में अपेक्षित ऋण संबंधी शर्त लागू नहीं होगी.

ब्याजदर-

ब्याज दर संबंधित निर्धारित श्रेणी (रेटिंग श्रेणी) के लिए बैंक द्वारा प्रयोज्य न्यूनतम ब्याज दर होगा, जो (आधार दर (एमसीएलआर) + 3% + आशय प्रीमियम) से अधिक नहीं होगा.

सिक्यूरिटी-

बैंकों के निर्णय के अनुसार, प्राथमिक प्रतिभूति (Security) के अतिरिक्त, ऋण संपाश्चिंक प्रतिभूति (Collateral Security) द्वारा या स्टैंड-अप इंडिया ऋण हेतु ऋण गारंटी निधि योजना की गारंटी से प्रत्याभूत किया जाएगा.

चुकौती (Repayment)-

अधिकतम 18 माह की ऋण स्थगन की अवधि सहित ऋण की चुकौती 7 वर्षों में की जाएगी.

कार्यशील पूंजी (Working Capital)-

10 लाख तक की कार्यशील पूँजी के आहरण के लिए, कार्यशील पूँजी ओवरड्राफ़्ट के रूप में मंजूर की जाएगी. उधारकर्ता की सुविधा के लिए रुपे डेबिट कार्ड जारी किया जाएगा. 10 लाख से अधिक की कार्यशील पूँजी के लिए, कार्यशील पूँजी नक़दी उधार सीमा के रूप में मंजूर की जाएगी.

मार्जिन राशि-

इस योजना में 25% मार्जिन राशि का प्रावधान है, जो कि पात्र केन्द्रीय/ राज्य योजनाओं के रूपान्तरण से उपलब्ध कराया जा सकता है. इस तरह की योजनाओं में प्राप्त अनुदान सहायता अथवा मार्जिन राशि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, ऐसे सभी मामलों में, उधारकर्ताओं को परियोजना लागत का न्यूनतम 10% अपना अंशदान लाना अपेक्षित होता है.

उल्लेखनीय है कि भारत में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा स्टैंड-अप इंडिया योजना परिचालित की जाएगी. इसके जरिये प्रत्येक बैंक शाखा द्वारा कम से कम एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ता और एक महिला उधारकर्ता को नई (ग्रीनफ़ील्ड) परियोजना की स्थापना के लिए 10 लाख से एक करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण प्रदान करना है.