नई दिल्लीः वैसे तो आम आदमी बैंक में पैसा रखना सबसे ज्यादा सुरक्षित मानता है. लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो को-ऑपरेटिव सोसायटी को बैंक बता कर आम लोगों से डीलिंग करते हैं. ऐसे लोगों और संस्थानों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पहले ही चेता चुका है. इसी कड़ी में बता दें कि आरबीआई (RBI) का कहना है कि को-ऑपरेटिव सोसायटी को बैंक बताने वाले संस्थानों में पैसा लागना घाटे का सौदा साबित हो सकता है.
ज्ञात हो कि RBI ने 29 नवंबर, 2017 को एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी खुद के नाम के साथ 'बैंक' शब्द का इस्तेमाल कर रही हैं, जो कि सरासर कानून का उल्लंघन है. यह भी पढ़े-RBI ने रेपो रेट 0.25% बढ़ाया, आम आदमी की जेब पर ऐसे पड़ेगा असर
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए इस सर्कुलर में आम आदमी को हिदायत देते हुए चेताया गया है कि वह ऐसी किसी भी को-ऑपरेटिव सोसायटी से बैंक के तौर पर लेन-देन करने से बचे क्योंकि अगर आप ने किया तो आपको घाटा हो सकता है.
केंद्रीय बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा, आर.बी.आई. के संज्ञान में आया है कि कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटी अपने नाम के साथ 'बैंक' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह 'बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट, 1949 का उल्लंघन है. यह भी पढ़े-इस साल के अंत तक बंद हो जाएंगे यह ATM कार्ड, जल्द बदलवा लें
वही सबसे अहम इन सोसायटीज में अगर बैंक समझ कर पैसा लगाते हैं, तो आपको बैंक डिपोजिट पर मिलने वाले इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिलेगा. दरअसल डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की तरफ से 1 लाख रुपए तक की रकम को इंश्योर किया जाता है.