अब जमीन का होगा आधार जैसा यूनिक नंबर, आसानी से होगी लैंड डील, संपत्ति विवाद भी होंगे कम- जानें मोदी सरकार की भूमि सुधार प्रणाली की खास बातें
किसान (File Photo)

नई दिल्ली: अब वो दिन दूर नहीं जब आधार कार्ड नंबर की तरह ही पूरे देश में जमीन का एक 14 डिजिट का विशिष्ट नंबर होगा. जो रजिस्ट्री ऑफिस, बैंक और रिकॉर्ड रूम से जुड़ा होगा. जिससे कोई भी व्यक्ति कहीं से भी अपने जमीन के रिकॉर्ड या नक्शे को आसानी से हासिल कर सकेगा. इससे जमीन के लेनदेन आसानी से हो सकेंगे साथ ही किसी भी जमीनी विवाद को जल्द निपटाने में मदद मिलेगी. दरअसल यह सब कुछ मोदी सरकार की भूमि सुधार प्रणाली की वजह से होने जा रहा है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि मार्च 2023 तक पूरे देश में जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध होगा. नई शिक्षा नीति से ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति से जुड़ेंगे छात्र, डिजीटल एजुकेशन से बेहतर बनेगा भविष्य

डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत डिजिटल लैंड रिकार्ड तैयार किया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर डिजिटल लैंड रिकार्ड को तैयार कर रहे है. यानी आने वाले दिनों में महज एक क्लिक पर आपके जमीन से संबंधित सारी जानकारियां आपके सामने मौजूद होंगी. इसके लागू होने से संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन भी आसान होना तय है, क्योकि इससे सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी. और जमीन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करने के महज एक-दो बार ही सरकारी कार्यालय जाने की जरुरत पड़ेगी.

विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (ULPIN)

विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या यानी यूएलपीआईएन (Unique Land Parcel Identification Number) प्रणाली में प्रत्येक भूखंड के लिए 14 अक्षर-अंकीय यूनीक आईडी (Alpha-Numeric Unique ID) होगी. यह विशिष्ट आईडी भूखंड के शीर्ष के भू-संदर्भ नियामक पर आधारित होगी जो कि अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार होगा. इसमें इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कोड मैनेजमेंट असोसिएशन (ईसीसीएमए) मानकों व ओपन जियोस्पेशियल कंसोर्टियम (ओजीसी) मानकों का अनुपालन होगा. यह अनुकूलता प्रदान करेगा ताकि सभी राज्य इसे आसानी से अपना सकें. यूएलपीआईएन के माध्यम से भूमि संबंधित आंकड़े और भूमि का लेखा-जोखा भूमि बैंक के विकास में मदद करेगा और एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईएलआईएमएस) की ओर ले जाएगा.

इसके लाभ में सभी लेन-देन में विशिष्टता सुनिश्चित करना और भूमि के रिकॉर्ड हमेशा अपडेट रखना, सभी संपत्तियों के लेन-देन के बीच एक कड़ी स्थापित करना, एकल खिड़की के माध्यम से नागरिकों को भूमि रिकॉर्ड की सेवा देना, विभागों, वित्तीय संस्थानों और अन्य सभी हितधारकों के बीचभूमि रिकॉर्ड डेटा को साझा करना और डेटा व ऐप्लिकेशन स्तर पर मानकीकरण विभागों के बीच प्रभावी एकीकरण और अन्तरसंक्रियता (Interoperability) लेकर आना शामिल है.

उल्लेखनीय है कि बिहार, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, सिक्कीम, आंध्र प्रदेश और गोवा में इसका पायलट टेस्ट भी सफल रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रणाली का प्रयोग करके 25 लाख से अधिक दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण पूरा हो चुका है.