कृषि क्षेत्र में मोदी सरकार का एक और सरहानीय कदम, उज्बेकिस्तान के साथ बढ़ाये व्यापारिक संबंध, किसानों को होगा फायदा
पीएम मोदी (Photo Credits: ANI/File)

भारत-उज्बेकिस्तान वर्चुअल शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) दो समृद्ध सभ्यताएं हैं और प्राचीन समय से ही दोनों के बीच निरंतर आपसी संपर्क रहे हैं. कोविड-19 के कारण वर्तमन और भविष्‍य चुनौतियों को देखते हुए दोनों देश आने वाले समय में अपने संबंधों को और मजबूत बनाएंगेग. उज्बेकिस्तान में जहां महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं, वहीं भारत में भी नए रिफॉर्म अवसर खोल रहे हैं. इससे कोविड काल के बाद हमारे बीच आपसी सहयोग की संभावनाएं और बढ़ेंगी. साथ ही दोनों देशों के किसानों के लिए नए व्यापारिक द्वार खुलेंगे.

द्वीपक्षीय सम्मेलन में सबसे पहले प्रधानमंत्री ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव (Shavkat Mirziyoyev) के कार्यकाल के चार वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं दीं. उनका कार्यकाल 14 दिसम्बर को पॉंचवें वर्ष में प्रवेश करेगा. साथ ही पीएम मोदी ने उज़्बेकिस्तान की यात्रा के लिए उत्सुक जताई.

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प्रस्तुत हैं प्रधानमंत्री के उद्बोधन के प्रमुख अंश :

पीएम मोदी ने कहा :

कोविड-19 महामारी की वजह से मेरी यात्रा तो नहीं हो पाई, लेकिन मुझे ख़ुशी है कि "Work From Anywhere” के इस काल में हम आज वर्चुअल माध्यम से मिल रहे हैं. भारत और उज्बेकिस्तान दो समृद्ध सभ्यताएं हैं. हमारे प्राचीन समय से ही निरंतर आपसी संपर्क रहे हैं. हमारे क्षेत्र की चुनौतियों और अवसरों के बारे में हमारी समझ और approach में बहुत समानता है. और इसलिए हमारे संबंध हमेशा से बहुत मजबूत रहे हैं. 2018 और 2019 में आपकी भारत यात्राओं के दौरान हमें कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला, जिससे हमारे संबंधों में एक नई गति देखने को मिली.

उग्रवाद, कट्टरवाद तथा अलगाववाद के बारे में हमारी एक जैसी चिंताएं हैं. हम दोनों ही आतंकवाद के ख़िलाफ़ दृढ़ता से एक साथ खड़े हैं. क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी हमारा एक जैसा नजरिया है. हम सहमत हैं कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में शांति की बहाली के लिए एक ऐसी प्रक्रिया आवश्यक है जो स्वयं अफ़ग़ानिस्तान की अगुआई, स्वामित्व और नियंत्रण में हो. पिछले दो दशकों की उपलब्धियों को सुरक्षित रखना भी आवश्यक है. भारत और उज्बेकिस्तान ने मिलकर India-Central Asia Dialogue की पहल ली थी. इसकी शुरुआत पिछले वर्ष समरकंद से हुई थी.

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आर्थिक साझेदारी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमारी आर्थिक साझेदारी भी मजबूत हुई है. हम उज्बेकिस्तान के साथ अपनी विकास साझेदारी को भी और घनिष्ट बनाना चाहते हैं. मुझे यह जानकर खुशी है कि भारतीय Line of Credit के अंतर्गत कई परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है. आपकी विकास प्राथमिकताओं के अनुसार हम भारत की विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रेनिंग और कपैसिटी बिल्ड‍िंग जैसे क्षेत्रों में भारत में काफी काबिलियत है, जो उज्बेकिस्तान के काम आ सकती है. हमारे बीच कृषि संबंधित ज्‍वाइंट वर्किंग ग्रुप की स्थापना एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है. इससे हम अपने कृषि व्यापार बढ़ाने के अवसर खोज सकते हैं जिससे दोनों देशों के किसानों को मदद मिलेगी.

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हमारी सुरक्षा साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों का एक मजबूत स्तम्भ बनती जा रही है. पिछले वर्ष हमारे सशस्त्र बलों का सबसे पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास हुआ. अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में भी हमारे सयुंक्त प्रयास बढ़ रहे हैं. यह भी संतोष का विषय है कि कोविड-19 महामारी के इस कठिन समय में दोनों देशों ने एक-दूसरे को भरपूर सहयोग दिया है. चाहे दवाइयों की आपूर्ति के लिए हो या एक-दूसरे के नागरिकों को सुरक्षित घर लौटाने के लिए.

हमारे प्रदेशों के बीच भी सहयोग बढ़ रहा है. गुजरात (Gujarat) और अन्दिजों की सफल भागीदारी के मॉडल पर अब हरियाणा (Haryana) और फरगाना के बीच सहयोग की रूपरेखा बन रही है. आपके नेतृत्व में उज्बेकिस्तान में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं, और भारत में भी हम reforms के मार्ग पर अडिग हैं.

इससे कोविड काल के बाद में हमारे बीच आपसी सहयोग की संभावनाएं और बढ़ेंगी. मुझे विश्वास है कि आज की हमारी इस चर्चा से इन प्रयासों को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी.