संभल जाए चीन पाकिस्तान, सुधर जाएं ट्रूडो; ट्रंप की ऐतिहासिक जीत से भारत के दुश्मनों को भुगतना पड़ेगा खामियाजा
PM Modi, Donald Trump | X

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की राष्ट्रपति पद पर वापसी से विश्व राजनीति में नई हलचल देखने को मिलेगी. ट्रंप का भारत के प्रति रुख हमेशा ही सकारात्मक रहा है, और उनकी जीत से भारत को कई रणनीतिक लाभ मिल सकते हैं. खासकर भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके साथ ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भी खालिस्तान मुद्दे पर अपने तेवर नरम करने पड़ सकते हैं.

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ट्रंप की जीत के भारत के लिए फायदे

कनाडा पर असर: खालिस्तान मुद्दे पर ट्रूडो का नरम रुख

ट्रंप के आने से कनाडा में खालिस्तान समर्थकों पर दबाव बढ़ेगा. हाल में ट्रंप ने कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की थी, जिससे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भी बयान देना पड़ा. ट्रंप का रुख साफ है कि वे खालिस्तान के मुद्दे पर हिंसा नहीं चाहते, और ऐसे में ट्रूडो को अपने यहां मौजूद खालिस्तानी समर्थकों पर नियंत्रण लगाना ही होगा. ट्रंप की जीत भारत के लिए इस मुद्दे पर बड़ी फायदेमंद है.

चीन और पाकिस्तान पर सख्ती

ट्रंप की जीत से चीन और पाकिस्तान को चुनौती का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप पहले भी चीन के विरोधी रहे हैं और उनके राष्ट्रपति बनने पर चीन के खिलाफ सख्त नीतियों का पालन होने की संभावना है. ट्रंप के भारत के साथ हथियारों का निर्यात और सैन्य सहयोग बढ़ाने से भारत की सामरिक शक्ति को मजबूती मिलेगी. भारत में डिफेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की भी संभावनाएं बढ़ जाएंगी, जिससे भारतीय सेना की ताकत में इजाफा होगा.

बांग्लादेश के साथ समर्थन

ट्रंप ने हिंदू अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर बांग्लादेश के खिलाफ भी भारत का साथ दिया है. ट्रंप के आने से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा जैसे मुद्दों पर भारत को वैश्विक समर्थन मिलेगा. इससे भारत को अपने पड़ोसी देशों में अपने समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मिल सकती है.

 

भारतीय मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस सेक्टर में वृद्धि

ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी लाभ हो सकता है. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की उनकी नीति के कारण भारतीय कंपनियों को साझेदारी का अवसर मिल सकता है. भारतीय डिफेंस कंपनियों जैसे भारत डायनेमिक्स और HAL को अमेरिकी रक्षा परियोजनाओं में भागीदारी का अवसर मिल सकता है.