WhatsApp जैसा खुद का मैसेजिंग ऐप तैयार कर रही है केंद्र सरकार, जानें खासियत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Photo)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार संवेदनशील जानकारियों को लीक होने से बचाने के मकसद से खुद का मैसेजिंग ऐप तैयार कर रही है. फिलहाल सरकारी इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम (GIMS) टेस्टिंग फेस में है और अगर सब कुछ सही रहा तो आने वाले समय में यह सरकारी महकमे में इस्तेमाल किया जाने लगेगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार सुरक्षित आंतरिक उपयोग के लिए व्हाट्सएप (WhatsApp) और टेलीग्राम (Telegram) जैसे लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफार्मों की तर्ज पर भारतीय जीआईएमएस का परीक्षण कर रही है. यह ओडिशा सहित कुछ राज्यों में पायलट परीक्षण के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. साथ ही भारतीय नौसेना को भी इसे परखने के लिए दिया गया है. पाकिस्तान की नई चाल: भारतीय जवानों को गुपचुप तरीके से वॉट्सऐप ग्रुप में कर रहा शामिल, सेना ने दी चेतावनी

जीआईएमएस को डिजाइन और विकसित करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की केरल इकाई को दी गई है. यह केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और संगठनों के कर्मचारियों के लिए आतंरिक और बाहरी संचार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

जीआईएमएस के बनने के बाद विदेशी मैसेगिंग ऐप का इस्तेमाल सरकारी संस्थाओं में ना के बराबर होने की उम्मीद है. परिणामस्वरूप डेटा की सुरक्षा सुनिक्षित हो सकेगी. इस भारतीय विकल्प को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए व्हाट्सएप की तरह ही एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन में विकसित किया गया है. जिससे कोई हैकर किसी दो के बीच हुई बातचीत को ना जान सके.

यह केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए होगा. सितंबर 2019 के पहले हफ्ते में ट्रायल के लिए जीआईएमएस का iOS वर्जन जारी किया गया.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में व्हाट्सएप ने इस्राइल की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह पर आरोप लगाया है था कि वह फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य की साइबर जासूसी कर रही है. व्हाट्सएप ने इसके साथ ही कंपनी पर केस भी दर्ज करवाया.

कैलिफोर्निया की एक कोर्ट में दायर केस में कहा गया है कि एनएसओ समूह ने मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करने वालों के करीब 1,400 उपकरणों को संक्रमित कर महत्वपूर्ण जानकारी चुराने का प्रयास किया. हालांकि कंपनी ने इस आरोप का खंडन किया है. इसमें कहा गया कि एनएसओ का पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह बनाया गया है जिससे एंड्रॉइड, आईओएस और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले उपकरणों को हाइजैक किया जा सके. इस खबर के बाद सभी व्हाट्सएप यूजर्स में तहलका मच गया.