Bharat Bandh Today: किसान संगठनों का भारत बंद शुरू, सैकड़ों किसानों ने नेशनल हाईवे किया जाम, रेलवे ट्रैक पर बैठे प्रदर्शनकारी- जानें आम आदमी पर कितना पड़ेगा असर
पंजाब, हरियाणा में सैकड़ों किसानों ने हाईवे जाम किया (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी किसानों द्वारा घोषित भारत बंद (Bharat Bandh) का असर दिखने लगा है. सैकड़ों किसानों ने दिल्ली को हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 1 सहित प्रमुख राजमार्गो को अवरुद्ध कर दिया है. हरियाणा के रोहतक में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 'भारत बंद' के चलते प्रदर्शनकारियों ने स्टेट हाइवे बंद कर दिया है. कुरुक्षेत्र के शाहबाद में दिल्ली-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग को कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बंद किया है. अंबाला में शंभू टोल प्लाजा के पास दिल्ली-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग को प्रदर्शनकारियों ने बंद किया है. सपा और बसपा ने किया किसानों के भारत बंद को समर्थन देने का ऐलान

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि “आज शाम 4 बजे तक बंद रहेगा. लोगों से अनुरोध है कि लंच के बाद ही निकलें, नहीं तो जाम में फंसे रहेंगे. एम्बुलेंस को, डॉक्टरों को, ज्यादा ज़रूरतमंदों को निकलने दिया जाएगा. दुकानदारों से भी अपील की है कि आज दुकानें बंद रखें.”

प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने ट्रैक्टर पंजाब और हरियाणा के राजमार्गों और प्रमुख लिंक सड़कों पर खड़े कर दिए हैं और सड़कों पर बैठ गए हैं. किसानों के विरोध को देखते हुए कानून और अन्य व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा और पंजाब में विभिन्न स्थानों पर भारी पुलिस बल देखा जा सकता है. पुलिस ने कई जगहों पर ट्रैफिक डायवर्ट किया, क्योंकि किसानों ने हाईवे जाम कर दिया है. हालांकि, राज्यों में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली है.

भारत बंद में आपात सेवाएं जैसे एंबुलेंस, दमकल सेवा दवाओं की दुकान व अस्पताल सहित मेडिकल से जुड़ी सेवाओं को संचालन की इजाजत होगी. साथ ही परीक्षा या इंटरव्यू में जाने वाले छात्रों को नहीं रोका जाएगा. कोरोना से जुड़ी और इमरजेंसी सेवाओं को भी बाधित नहीं किया जाएगा.

गाजियाबाद में किसान यूनियन के बंद के एलान को देखते हुए पुलिस ने पेरिफेरल, हापुड़ चुंगी, यूपी गेट, गाजीपुर बॉर्डर सहित कई मुख्य मार्गों और चौराहों पर रूट डायवर्ट करने का आदेश दिया है. हालांकि भारत बंद के बावजूद दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन चालू रहेगी. लेकिन दिल्ली की सीमाओं से सफर करने वाले लोगों को आवाजाही करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों के संचालन पर भी असर पड़ेगा. वहीं कुछ बैंकों की सेवाओं पर भी असर पड़ने की आशंकाएं हैं.

किसान संघों के भारत बंद से एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि किसानों को आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का विकल्प चुनना चाहिए. ग्वालियर के कृषि महाविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए तोमर ने कहा, "मैं किसानों से आंदोलन का रास्ता छोड़कर संवाद के रास्ते पर चलने की अपील करना चाहता हूं. सरकार उनके द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर विचार करने के लिए तैयार है. कई चर्चा पहले हो चुकी है. अगर कुछ बचा है, तो सरकार निश्चित रूप से बात करने के लिए तैयार है.”

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि किसानों का विरोध राजनीतिक मुद्दा नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा “किसान आंदोलन को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. किसान सबका है. सरकार ने किसान संघ के साथ बहुत संवेदनशील बातचीत की है और भविष्य में भी ऐसा करने के लिए तैयार है."

उल्लेखनीय है कि हर बार की तरह इस बार भी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शांतिपूर्ण बंद की बात कही है और सभी लोगों से इस बंद का समर्थन करने का भी आग्रह किया है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेतृत्व में 40 किसान संगठनों की ओर से सोमवार को सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक भारत बंद का आह्वान किया गया है. इसी बीच किसानों के इस समर्थन में तमाम राजनीतिक पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया है. इनमें वामपंथी दलों जैसे माकपा, भाकपा, फारवर्ड ब्लॉक, समाजवादी पार्टी, भाकपा माले (लिबरेशन), भाकपा माले न्यू डेमोक्रेसी, एसयूसीआई (सी), एमसीपीआई (यू), भारतीय क्रान्तिकारी मार्क्‍सवादी पार्टी, के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आप, सपा, तेदेपा, जनता दल सेक्युलर, बसपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रमुक, वाईएसआरसीपी, झामुमो, राजद, स्वराज इंडिया पार्टी शामिल है. एसकेएम के अनुसार, भारत बंद में श्रमिक संघों, ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों और छात्र संघों, महिला संगठनों और ट्रांसपोर्टरों के संघों को शामिल किया गया है.

बिहार में भी बंद का असर-

दरअसल दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन के 10 महीने हो गए हैं. किसान भारत बंद करने से आंदोलन को और मजबूती मिलेगी ऐसी उम्मीद कर रहें हैं. इससे भी सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन 26 जनवरी कोई हुई लाल किले पर हिसंक घटना के बनफ यह बातचीत रुक गई.