
नई दिल्ली: जिन डॉक्टरों को लोग भगवान मानते हैं वही नकली हों तो. नकली डॉक्टर का ऐसा ही एक सामने आया है जो कई सालों तक लोगों की जिंदगी से खेलता रहा. 47 वर्षीय नरेंद्र विक्रमादित्य यादव, जो खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताते थे, दरअसल एक बड़ा धोखेबाज निकला. उसके पास मौजूद दो पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्रियां फर्जी पाई गईं. यही नहीं, वह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना समेत सात राज्यों के नामी अस्पतालों में वर्षों तक काम करता रहा.
नरेंद्र यादव ने न सिर्फ फर्जी डिग्रियों से लोगों को धोखा दिया, बल्कि खुद को इंग्लैंड के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट 'डॉ. एन जॉन कैम' के नाम से पेश किया. हैरानी की बात ये है कि उसने एक नकली पत्नी और बच्चों की कहानी भी गढ़ ली ताकि पुलिस कार्रवाई से बच सके.
दमोह अस्पताल में मौतें और पोल खुली
इस साल जनवरी-फरवरी में मध्य प्रदेश के दमोह स्थित मिशन अस्पताल में सात मरीजों की मौत के बाद जांच शुरू हुई. मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो और अन्य स्थानीय लोगों की शिकायत पर जब जांच बढ़ी, तो यादव की सच्चाई सामने आई.
दमोह के मिशन अस्पताल में 1 जनवरी को अपॉइंट हुए यादव ने न सिर्फ मरीजों का इलाज किया, बल्कि अस्पताल की ECG मशीन चुरा कर फरवरी की शुरुआत में गायब हो गया.
प्रयागराज में मुर्गी वाले ने पकड़ा
दमोह पुलिस ने यादव को प्रयागराज से गिरफ्तार किया. दिलचस्प बात ये रही कि यादव ने एक मुर्गी विक्रेता से बात की थी, जिससे मिले सुराग के आधार पर पुलिस ने उसे एक बिल्डिंग से पकड़ा.
सालों तक चला झूठ का बाजार
यादव ने खुद को इंग्लैंड और अमेरिका के कई मेडिकल संस्थानों से प्रशिक्षित बताकर बड़े-बड़े अस्पतालों में काम किया. उसने Escorts, Fortis, Apollo जैसे नामी अस्पतालों में सेवाएं दीं, लेकिन इन कोर्सेज की कोई पुष्टि अब तक नहीं हो सकी.
2006 में छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल की मौत के बाद उनके बेटे ने आरोप लगाया कि यादव ने गलत सर्जरी की थी. इसके बाद उस पर कई जगहों पर शिकायतें दर्ज हुईं.
राजेंद्र शुक्ल के बेटे प्रदीप ने बताया, "यादव ने मेरे पिता की सर्जरी की थी, जिसके बाद उन्हें मृत घोषित किए जाने से पहले 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था." बाद में, हमें पता चला कि वह एक योग्य डॉक्टर नहीं था और अन्य संदिग्ध मौतों में शामिल था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिलासपुर इकाई ने मामले की जांच भी की थी. कई शिकायतों के बाद, उन्हें कथित तौर पर अस्पताल छोड़ने के लिए कहा गया था."