EPFO PF Withdrawal Rule Change: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने देशभर के करोड़ों खाताधारकों को बड़ी राहत दी है. संगठन ने पीएफ (PF) खाते से पैसे निकालने से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है. अब कर्मचारी अपने पीएफ अकाउंट में तय न्यूनतम बैलेंस को छोड़कर बाकी पूरी जमा राशि निकाल सकेंगे. इस फैसले से करीब 30 करोड़ ईपीएफओ सदस्यों को फायदा होगा, क्योंकि वे अब आपात स्थिति या ज़रूरत के समय अपने फंड का बड़ा हिस्सा आसानी से निकाल सकेंगे.
अब निकाल सकेंगे 75% रकम
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया. बैठक में राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, सचिव वंदना गुरनानी और ईपीएफओ आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे. इस बैठक में तय किया गया कि अब कर्मचारी अपने पीएफ खाते से 75% तक की राशि निकाल सकेंगे, जबकि 25% रकम न्यूनतम बैलेंस के रूप में खाते में बनी रहेगी. यानी, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के हिस्से समेत कुल जमा राशि में से 75% तक की निकासी संभव होगी.
इसका सीधा मतलब यह है, कि अब कर्मचारियों को अपने पीएफ खाते में जमा कुल राशि का बड़ा हिस्सा निकालने की अनुमति होगी. यानी, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के द्वारा जमा की गई रकम में से 75% तक पैसा जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकेगा, जबकि बाकी 25% राशि खाते में न्यूनतम बैलेंस के रूप में बनी रहेगी.
पहले क्या था नियम?
पहले पीएफ खाते से पूरी राशि निकालने की अनुमति केवल बेरोजगारी या रिटायरमेंट की स्थिति में ही मिलती थी. बेरोजगार होने के एक महीने बाद सदस्य अपने खाते में जमा राशि का 75% हिस्सा निकाल सकता था, जबकि बाकी बची 25% राशि दो महीने बाद निकाली जा सकती थी. वहीं, रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक साथ पूरी राशि निकालने की सुविधा दी जाती थी. लेकिन अब नए नियम के तहत कर्मचारियों को पहले से कहीं ज्यादा लचीलापन मिल गया है. अब वे अपने खाते में तय न्यूनतम बैलेंस को छोड़कर बाकी पूरी पात्र राशि निकाल सकेंगे, जिससे जरूरत पड़ने पर फंड तक पहुंचना आसान हो जाएगा.
कैसे होगा फायदा?
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, नए नियम से पीएफ सदस्यों को दोहरा फायदा मिलेगा. अब वे अपनी जरूरत के अनुसार अपने खाते से 75% तक की राशि निकाल सकेंगे, जबकि खाते में बचा हुआ 25% हिस्सा न्यूनतम बैलेंस के रूप में जमा रहेगा और उस पर ब्याज मिलता रहेगा. इससे कर्मचारियों को न केवल तत्काल जरूरतों के लिए फंड की सुविधा मिलेगी, बल्कि उनके खाते में मौजूद राशि पर 8.25% वार्षिक ब्याज दर का लाभ भी जारी रहेगा. इस तरह यह नियम अल्पकालिक जरूरतों और दीर्घकालिक बचत, दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा.
शिक्षा और विवाह के लिए निकासी सीमा में बढ़ोतरी
सीबीटी की बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि अब ईपीएफओ सदस्य शिक्षा और विवाह जैसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए अपने पीएफ खाते से अधिक बार निकासी कर सकेंगे. नए नियमों के तहत, सदस्य शिक्षा के लिए अधिकतम 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक राशि निकाल सकेंगे.
पहले यह सीमा केवल 3 बार की थी. इसके साथ ही, आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) के लिए सेवा अवधि (Service Tenure) की शर्त को भी सरल बना दिया गया है. अब किसी भी सदस्य को केवल 12 महीने की नौकरी पूरी करने के बाद आंशिक निकासी की अनुमति होगी. यह बदलाव खासकर नए कर्मचारियों के लिए बेहद राहतभरा साबित होगा.
अब कारण बताने की जरूरत नहीं
अब तक विशेष परिस्थितियों जैसे कि प्राकृतिक आपदा, महामारी आदि में पीएफ से पैसे निकालने के लिए कारण बताना और संबंधित दस्तावेज़ जमा करना अनिवार्य था. अक्सर यही वजह थी कि कई क्लेम अस्वीकार हो जाते थे. लेकिन नए नियमों के अनुसार अब ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. अब आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) के 100% क्लेम ऑटोमैटिक रूप से निपटाए जाएंगे, जिससे प्रक्रिया तेज़, आसान और पूरी तरह पारदर्शी हो जाएगी.
जटिल नियम हुए आसान
पहले पीएफ निकासी के लिए 13 अलग-अलग नियम थे, जिनकी वजह से सदस्य अक्सर भ्रमित रहते थे और सही तरीके से निकासी नहीं कर पाते थे. अब इन सभी नियमों को मिलाकर सिर्फ तीन मुख्य श्रेणियां बनाई गई हैं. पहली श्रेणी है जरूरी जरूरतें, जिसमें बीमारी, शिक्षा, विवाह जैसी स्थितियां शामिल हैं. दूसरी श्रेणी है आवास से जुड़ी जरूरतें, यानी घर खरीदने या सुधारने से संबंधित आवश्यकताएं. तीसरी श्रेणी है विशेष परिस्थितियां, जैसे प्राकृतिक आपदा, महामारी या फैक्ट्री बंद होना. इस नए व्यवस्था से पीएफ निकासी की प्रक्रिया अब साफ-सुथरी, सरल और तेज़ हो जाएगी, और क्लेम का निपटान भी आसानी से और जल्दी किया जा सकेगा.
न्यूनतम बैलेंस का प्रावधान
नए प्रावधान के तहत, अब पीएफ सदस्यों के खाते में कुल जमा फंड का 25% हिस्सा हमेशा न्यूनतम बैलेंस के रूप में बना रहना जरूरी होगा. यह सुनिश्चित करेगा कि यह राशि ब्याज के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहे और भविष्य में रिटायरमेंट के समय एक मजबूत बचत फंड तैयार हो.
ईपीएफओ का यह कदम कर्मचारियों को वित्तीय आपात स्थितियों में राहत, बेहतर लचीलापन और आसान निकासी प्रक्रिया देने की दिशा में एक बड़ा सुधार है. इसका मतलब है, कि अब पीएफ का पैसा न केवल सेवानिवृत्ति के लिए सुरक्षित रहेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर सुविधाजनक रूप से उपयोग में भी लाया जा सकेगा.













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