नई दिल्ली, 2 अक्टूबर : राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मचे घमासान को लेकर भाजपा बहुत उत्साहित है और लगातार यह दावा कर रही है कि गहलोत सरकार का जाना तय है. राजस्थान में अगले वर्ष विधान सभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई गांधी परिवार की बात न मानने तक पहुंच जाने से उत्साहित भाजपा यह भी दावा कर रही है कि अगर गहलोत सरकार गिरती है तो वो राज्य में मध्यावधि चुनाव को तैयार है.
लेकिन कांग्रेस में जारी उठा-पटक से उत्साहित भाजपा के सामने भी राजस्थान में कई चुनौतियां खड़ी हैं जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती राज्य में जारी गुटबाजी और नेताओं की आपसी खींचतान है. पिछले कुछ महीनों के दौरान भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं राजस्थान के सभी नेताओं के साथ बैठक कर पार्टी को एक मंच पर लाने की कोशिश की है.
भाजपा के आला नेता लगातार राजस्थान का दौरा कर, सभी नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं और मिलजुलकर विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का निर्देश भी दे रहे हैं लेकिन बताया यह जा रहा है कि भाजपा को अभी भी राजस्थान में एक ऐसे विनिंग फॉमूर्ले की तलाश है जिसके जरिए सभी नेताओं को एक मंच पर लाकर राजस्थान की सत्ता से कांग्रेस को बाहर किया जा सके. यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़
भाजपा सूत्रों की मानें तो जुलाई में ही पार्टी आलाकमान सैद्धांतिक तौर पर यह मन बना चुका था कि भाजपा राजस्थान विधान सभा चुनाव में सामूहिक नेतृत्व के आधार पर ही चुनाव लड़ेगी लेकिन अगर गांधी परिवार की नाराजगी के बावजूद अशोक गहलोत राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बचा पाने में कामयाब हो पाते हैं तो भाजपा को भी नए सिरे से राज्य को लेकर अपनी रणनीति बनानी पड़ सकती है.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान में भाजपा की एक दिग्गज नेता है जो कई बार प्रदेश में अपनी राजनीतिक ताकत साबित भी कर चुकी है. पिछले कुछ महीनों के दौरान वसुंधरा राजे सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर अपनी तरफ से पार्टी आलाकमान के साथ बेहतर तालमेल बनाने का भी प्रयास किया है. राज्य में जहां एक तरफ भविष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा नया चेहरा खड़ा करना चाहती है वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया जैसी दिग्गज और लोकप्रिय नेता को अलग-थलग रखना भी संभव नहीं है.
ऐसे में भाजपा में लगातार इस तरह के फॉर्मूले को लेकर मंथन जारी है जिसके जरिए बीच का कोई रास्ता निकाला जा सके. बताया जा रहा है कि इन फॉर्मूले को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने हाल ही में दिल्ली में वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ चर्चा भी की थी. उस बातचीत में क्या किसी फॉर्मूले पर सहमति बन पाई और अगर बन पाई तो वह फॉर्मूला क्या है, इसका खुलासा तो आने वाले वक्त में ही होगा लेकिन यह तय माना जा रहा है कि राजस्थान भाजपा के कुछ नेताओं और राजस्थान से जुड़े कुछ सांसदों की अनिच्छा के बावजूद विधान सभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे सिंधिया को बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है.