यौन अपराध से जुड़े मामले में मुंबई की अदालत ने कहा- हमारे समाज में Private Part का क्या अर्थ है, इस बात पर निर्भर है इसकी परिभाषा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

मुंबई की अदालत (Mumbai Court) ने माना है कि मानव शरीर के निजी हिस्से यानी 'प्राइवेट पार्ट' शब्द की व्याख्या उस आधार पर होनी चाहिए कि हमारे समाज में इसका क्या अर्थ है? गूगल भले ही बम की प्राइवेट पार्ट के तौर व्याख्या नहीं कर सकता, लेकिन जहां तक भारतीयों का सवाल है यह स्वीकार्य व्याख्या नहीं है. ऐसा कहते हुए अदालत ने स्पेशल प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेन्स (Protection of Children against Sexual Offence) यानी पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत एक 22 वर्षीय शख्स को 10 साल की लड़की के बम (Bum) को छूने के आरोप में 5 साल की जेल की सजा सुनाई है. मामला साल 2017 की एक घटना से संबंधित है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, तब 10 साल की लड़की पास की दुकान से ब्रेड खरीदने के लिए अपने घर से बाहर निकली थी. घर लौटते समय उसने देखा कि स्टेशनरी की दुकान के बाहर बैठे चार लड़के उस देखकर हंस रहे थे, तभी वह घर लौट गई. बाद में वह मंदिर जाने के लिए एक दोस्त के साथ फिर अपने घर से निकली. वो लड़के तब भी स्टेशनरी की दुकान पर ही थे. अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि चार लड़कों में से एक उसके पास आया व उसके प्राइवेट पार्ट को छुआ और चारों उसे देखकर हंसने लगे. लड़की तुरंत अपने घर लौट आई और अपनी मां को इस घटना के बारे में बताया, जिसके बाद महिला ने फोन पर अपने पति को इसकी जानकारी दी.

लड़की के पिता तुरंत घर पहुंचे, जिसके बाद पीड़ित लड़की ने इस घटना के बारे में बताते हुए आरोपी सहर अली शेख की तरफ इशारा किया, जिसने कथित तौर पर उसके प्राइवेट पार्ट को छुआ था. पिता द्वारा नोटिस किए जाने पर वह वहां से भाग निकला. इसके बाद पिता ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई और अगले दिन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि इस मामले में ट्रायल के दौरान अदालत ने उसे जमानत दे दी थी. यह भी पढ़ें: POCSO एक्ट के तहत पैंट की ज़िप खोलना 'सेक्शुअल असॉल्ट नहीं- बॉम्बे हाईकोर्ट

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुलभा जोशी ने दलील दी कि जाहिर तौर पर यौन उत्पीड़न के इरादे से आरोपी ने उसके बम (प्राइवेट पार्ट) को छुआ था. पीड़िता उस समय इस घटना से अपमानित और डरी हुई महसूस कर रही थी. इस मामले में पीड़िता और उसके पिता पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, जिन्होंने पुलिस स्टेशन का दरवाजा खटखटाया और तुरंत रिपोर्ट दर्ज कराई.

उधर, आरोपी शेख के वकील ने दलील दी कि लड़की के पिता ने अदालत से कहा था कि उन्हें उनकी पत्नी ने फोन करके बताया था कि उनकी बेटी को किसी ने छेड़ा है. छेड़ने और छूने में बहुत अंतर है. इसके साथ ही वकील ने दलील दी कि बम एक प्राइवट पार्ट नहीं है.

POCSO अदालत ने तर्क दिया कि पिता ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि लड़कों में से एक ने उनकी बेटी के प्राइवेट पार्ट को छुआ था. पत्नी ने फोन पर अपने पति से पूरी घटना का खुलासा नहीं किया होगा. पति का कहना है इस घटना से पत्नी डर गई थी, इसलिए वो फौरन घर के लिए रवाना हो गए. घर पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी बेटी से छेड़छाड़ के अलावा और भी कुछ हुआ था. फोन पर बातचीत के दौरान यह स्वाभाविक है कि पत्नी ने पूरा विवरण देने के बजाय सिर्फ इतना कहा कि उनकी बेटी को छेड़ा गया है. फोन पर विवरण न देने का मतलब यह नहीं है कि उनकी बेटी को छुए बिना छेड़ा गया था.