कोरोना वायरस (COVID-19) दुनिया भर में भारी तबाही मचा चुका है और अब भविष्य में आने वाली महामारी की लहरों को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है. भारत में इस समय कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. तीसरी लहर को लेकर सामने आ रही तमाम खबरों के बीच एक अच्छी खबर आई है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजीज कंट्रोल (NCDC) के डायरेक्टर सुजीत सिंह (Sujeet Singh) का कहना है कि एक नया वरिएंट अकेले कोरोना की तीसरी लहर नहीं ला सकता है. COVID-19: केरल में खत्म हो गया है कोरोना का पीक, एक्सपर्ट बोले- मामलों में गिरावट जारी रहेगी.
NDTV ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि NCDC के डायरेक्टर के अनुसार कोरोना अगले छह महीनों में एक स्थानिक (एनडेमिक) बनना शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई नया वरिएंट सामने आता है तो वह अकेले कोरोना वायरस की तीसरी लहर नहीं ला सकता है. उन्होंने कहा कि यह अगले छह महीनों में यह पैंडेमिक से एंडेमिक (कभी न खत्म होने वाली स्थानीय बीमारी) में बदल जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID के एक एंडेमिक होने का मतलब होगा कि संक्रमण पहले से कम प्रभावशाली होगा और स्वास्थ्य सेवाओं पर कम दबाव डालेगा. सुजीत सिंह ने कहा कि यदि मृत्यु दर नियंत्रण में हैं, तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि केरल भी पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना के साथ तेज लड़ाई से उभर रहा है.
NCDC के डायरेक्टर के सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने में टीकाकरण जरूरी है. उन्होंने कहा कि हर किसी को वैक्सीनेशन के बाद भी उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि पूर्ण वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण का खतरा है. लगभग 20 से 30 प्रतिशत मामलों में पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों में भी संक्रमित का खतरा है.
उन्होंने कहा कि टीकाकरण और वायरस के संपर्क में आने से संक्रमण कम होता है. उन्होंने कहा भारत में कोई नया वेरिएंट नहीं है. C1.2 और Mu स्ट्रेन अभी तक देश में नहीं पाए गए हैं. सिंह ने कहा, बस एक नया वेरिएंट तीसरी लहर का कारण नहीं बन सकता है.