
नई दिल्ली, 18 फरवरी : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय 10वीं और 12वीं सीबीएसई की परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करवाने की बात कह चुका है. इसकी तैयारियों को लेकर अब शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम बैठक की है. इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की. इस महत्वपूर्ण बैठक में स्कूली शिक्षा के सचिव, सीबीएसई के अध्यक्ष, मंत्रालय व सीबीएसई के अन्य अधिकारी मौजूद रहे. इस बैठक में, वर्ष में दो बार सीबीएसई परीक्षाओं के संचालन पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. अब इन विचार-विमर्शों का मसौदा जल्द ही सीबीएसई द्वारा सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा जाएगा.
इस विषय में जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को बताया कि छात्रों के लिए तनाव मुक्त वातावरण बनाना सरकार का एक महत्वपूर्ण फोकस रहा है. परीक्षा सुधार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. एक कदम आगे बढ़ाते हुए वर्ष में दो बार सीबीएसई परीक्षाओं के संचालन पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया है. इसे सीबीएसई द्वारा सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा जाएगा. शिक्षा मंत्री का कहना है कि स्कूली शिक्षा में किए जा रहे ये सुधार एनईपी के प्रमुख प्रावधानों के कार्यान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं. यह छात्रों के बीच परीक्षा संबंधी तनाव को कम करने में मदद करेंगे. यह भी पढ़ें : Rahul Gandhi on New CEC Appointment: ‘यह असम्मानजनक और गलत’: मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को घेरा
यह प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत 10वीं और 12वीं सीबीएसई बोर्ड के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं देने का अवसर मिलेगा. हालांकि, दो बार बोर्ड परीक्षाएं देना कोई अनिवार्य नियम नहीं होगा. छात्र अपनी सुविधा के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं में दो बार बैठने का विकल्प चुन सकते हैं या फिर एक ही बार बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं. दोनों परीक्षाओं के बीच कुछ महीनों का एक निश्चित अंतराल होगा. जिस प्रकार जेईई मेन की परीक्षाएं दो बार आयोजित की जाती हैं, उसी प्रकार 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं भी साल में दो बार आयोजित की जाएंगी.
ऐसे छात्र जो प्रथम परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन उन्हें लगता है कि उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, तो वे उसी शैक्षणिक वर्ष में आयोजित होने वाली दूसरी परीक्षा भी दे सकते हैं. यानी प्रथम परीक्षा में जो छात्र अच्छा स्कोर नहीं कर सके, उनके पास दूसरी बारी आयोजित होने वाली परीक्षा में बैठने का एक और अवसर होगा. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस तरह यह पूरी तरह चॉइस बेस्ड सिस्टम है.
इसके अलावा, बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में भी बदलाव किए गए हैं. सीबीएसई परीक्षा में एनालिटिकल, कॉन्सेप्ट बेस्ड सवाल ज्यादा आएंगे. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके अलावा एमसीक्यू, शॉर्ट आंसर्स सभी में सवालों की वैरायटी यही रहेगी. तकरीबन 50 प्रतिशत सवाल एमसीक्यू और एक से दो मार्क्स के रूप में बदल दिए गए हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अब बोर्ड परीक्षाओं का उद्देश्य छात्रों में विषयों की समझ का मूल्यांकन करना होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई पद्धति से कोचिंग और याद रखने की आवश्यकता में कमी आएगी.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के अलावा स्कूली शिक्षा पद्धति में और भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों के अंतर्गत 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान विषयों का चयन सीमित नहीं रहेगा. छात्रों को 11वीं और 12वीं कक्षा में अपनी पसंद के विषय चुनने की सुविधा मिलेगी.