लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने दवा के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत सूबे में विशाल बल्क ड्रग पार्क तैयार किया जायेगा. बुंदेलखंड (Bundelkhand) के ललितपुर (Lalitpur) में 2060 एकड़ का बल्क ड्रग पार्क विकसित करने की दिशा में काम भी शुरू हो चुका है. ड्रग पार्क के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से भी बातचीत हो चुकी है. इस योजना से दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा, परिणामस्वरूप चीन को भारत से एक और आर्थिक झटका लगेगा. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया
मिली जानकारी के मुताबिक बल्क ड्रग पार्क बनाने के लिए राज्य सरकार 1604 करोड़ रुपये खर्च करेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी योजना से उत्तर प्रदेश के 31,000 लोगों को रोजगार मिलेगा. जबकि राज्य की जीडीपी में 32 हजार करोड़ रुपये से अधिक का इजाफा होने का अनुमान है. मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमण की दर में आई कमी पर संतोष व्यक्त किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद ड्रग पार्क की स्थापना के लिए शासन के विभिन्न विभागों जुट गए है. जल्द से जल्द इस संबंध में केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजने का काम किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार लगभग 1000 करोड़ देगी.
राज्य सरकार ने बल्क ड्रग पार्क में 24000 करोड़ का निवेश आने के अनुमान जताया है. इसके 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में केवल दवा उत्पादन इकाइयां होंगी. जबकि ड्रग पार्क के अन्य हिस्सों में रिसर्च, टेस्टिंग, लॉजिस्टिक समेत सभी मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी. जिससे यहां काम कर रहे लोगों को सभी जरुरी सेवाएं यहीं दी जा सके.
बल्क ड्रग पार्क के निर्माण से चीन पर भारत की निर्भरता कम होगी. दरअसल इस ड्रग पार्क में बड़े पैमाने पर एपीआई यानि बेसिक फार्मा इंग्रीडिएंट तैयार किया जाएगा. सरल भाषा में कहे तो इस पार्क के अंदर ही दवा निर्माण का सबसे प्रमुख कच्चा माल भी बनाया जाएगा. जो वर्तमान में भारत को चीन से खरीदना पड़ता है. भारत में दवा बनाने वाली कंपनियां चीन से करीब 70-80 फीसदी एपीआई खरीदती है. ऐसे में ललितपुर में प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क के बनने से चीन से आयात का भार भी घटेगा. उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से भारत में थोक दवाओं और एपीआई के आयात पर ब्रेक लग गया, जिसका असर दवाओं के दामों पर भी पड़ा है.