हद हो गई! परीक्षा से बचने के लिए छात्रों ने प्रिंसिपल की मौत की झूठी खबर फैलाई, प्रधानाचार्य के घर आने लगे शोक संदेश
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पहले के ज़माने में छात्र परीक्षा से बचने के लिए 'बुखार है' या 'पेट में दर्द है' जैसे बहाने बनाते थे. लेकिन मध्य प्रदेश के दो छात्रों ने तो हद ही कर दी. उन्होंने अपनी परीक्षा टालने के लिए अपनी प्रिंसिपल की मौत की ही झूठी खबर फैला दी.

यह हैरान करने वाला मामला इंदौर के गवर्नमेंट होलकर साइंस कॉलेज का है. यहां बीसीए (BCA) के दो छात्रों ने अपनी प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन का एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. कॉलेज के नकली लेटरहेड पर बने इस खत के वायरल होते ही हड़कंप मच गया. लोग घबरा गए और प्रिंसिपल के घर पर सांत्वना देने वालों के फोन आने लगे.

पुलिस के मुताबिक, बीसीए थर्ड सेमेस्टर के दो छात्रों ने 15 और 16 अक्टूबर को होने वाली अपनी सीसीई (CCE) परीक्षा को टालने के लिए यह पूरी साजिश रची.

मंगलवार रात करीब 10:15 बजे, उन्होंने "ज़रूरी सूचना" शीर्षक से एक मैसेज वायरल किया. इसमें लिखा था, "प्रिंसिपल डॉ. अनामिका जैन के आकस्मिक निधन के कारण कॉलेज की ऑनलाइन परीक्षा और क्लास स्थगित की जा रही हैं."

रात 10:30 बजे तक प्रिंसिपल डॉ. जैन के पास एक छात्र का मैसेज आया, जिसने चिंता जताते हुए पूछा, "मैम, आप कैसी हैं? आपकी मौत की खबर वायरल हो रही है."

यह पढ़कर प्रिंसिपल हैरान रह गईं और उन्होंने जवाब दिया, "मैं ठीक हूँ, यह कैसे हो सकता है?" कुछ ही मिनटों में उनके फोन पर कॉल्स की बाढ़ आ गई और कई प्रोफेसर घबराकर उनके घर पहुंच गए.

डॉ. जैन ने तुरंत अधिकारियों को सूचित किया और भंवरकुआं पुलिस स्टेशन में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. जांच के बाद पुलिस ने दो आरोपी छात्रों की पहचान की और उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए. बताया जा रहा है कि पकड़े जाने से पहले एक छात्र ने अपना पूरा व्हाट्सएप डेटा डिलीट कर दिया था.

भंवरकुआं पुलिस स्टेशन के प्रभारी राजकुमार यादव ने बताया कि "किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर दस्तावेज़ बनाने" के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. दोषी पाए जाने पर छात्रों को तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है.

एडिशनल डीसीपी राजेश डंडोतिया ने बताया, "जांच में मयंक कछवाल और हिमांशु जायसवाल नाम के दो छात्रों की भूमिका सामने आई है. उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है." उन्होंने आगे कहा, "यह घटना सोशल मीडिया के ज़रिए झूठी अफवाहें फैलाकर शैक्षिक माहौल को बिगाड़ने का एक प्रयास लगता है. हम उनके मोबाइल फोन और सोशल मीडिया अकाउंट की जांच कर रहे हैं."

इस घटना से बेहद परेशान डॉ. जैन ने कहा कि इसने उन्हें और उनके परिवार को गहरा सदमा पहुंचाया है. उन्होंने कहा, "लोग सच में मेरे घर पर शोक व्यक्त करने आ गए थे, उन्हें लगा कि मैं सच में नहीं रही. यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि एक आपराधिक काम था जिसने हमें मानसिक पीड़ा दी है. मैंने सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटना दोबारा कभी न हो."